क़लमकार: मोदीजी आपकी झोला - लोटा लेकर निकल पड़ने वाली बात भी ढकोसला साबित हुई
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October 13, 2018
मोदीजी जहाँ तक 2014 के चुनावों की बात थी , जनता कांग्रेस से त्रस्त थी। आपकी छवि जो गुजरात के मुख्यमंत्री रहते बनी थी और आपकी जो कार्यप्रणाली रही और उससे भी ज्यादा हिन्दुओं ने आपसे आस लगाई थी , उस आस के चलते जनता ने आपमें अपना भरोसा जताया।
मोदीजी ने आपने अपने प्रभावी भाषणों से जनता में अपना विश्वास पक्का किया और जनता ने मोदीजी आपका भरोसा भी किया और जनता के इसी भरोसे ने आपको बहुमत से जिताया।
मोदीजी शुरू के दो ढाई साल तो आसरे में बीत गए पर उसके बाद जनता के असन्तोष ने धीरे धीरे पाँव पसारने शुरू किये।
मोदीजी आपने जनता के एकाउंट में 15 लाख नहीं डलवाए , कोई बात नहीं। जो जनता का था नहीं मिला नहीं। इससे जनता को कोई नुकसान नहीं हुआ। बात आई-गई हो गई।
मोदीजी राम मन्दिर नहीं बना कोई बात नहीं जानता की सोच रही आज नहीं कल बन जाएगा।
जनता का कोई व्यक्तिगत नुकसान नहीं हुआ।
कश्मीर से धारा 370 नहीं हटी इसका बहुत रोष रहा है जनता में , पर इतना नहीं कि आपके इस वादे को पूरा ना करने पर जनता आपसे मुँह मोड़ ले।
पर अब जो आपने अपनी सत्ता बरक़रार रखने के लिये सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जाकर अध्यादेश लाकर sc/st एक्ट पारित किया उसने आपकी सारी कलई खोल दी।
यह कदम आपके लिये आत्मघाती साबित होगा।
मोदीजी इस नियम के चलते आपने उन सवर्णों पर चोट की है जो आपकी जीत की नींव थे।
आपने अपने इन मतदाताओं को 15 लाख नहीं दिये , राम मन्दिर की सौगात नहीं दी , कालाधन और भ्रष्टाचार समाप्त नहीं किया , धारा 370 नहीं हटाई , उन्होंने फिर भी आपमें विश्वास जताया क्योंकि उनका इसमें व्यक्तिगत कोई नुकसान नहीं हुआ।
पर यह क्या इतना सब आपको देने के बावजूद आपने अपने इन सवर्ण मतदाताओं के सिर पर बिना जांच के गिरफ़्तारी की तलवार लटका दी और वो भी इसलिये कि आप सत्ता में अपनी जीत निश्चित करना चाहते हैं।
आपकी शायद मोदीजी और आपके सलाहकारों की यह सोच रही होगी की जो आपका मतदाता इतने वादों की खिलाफी करने के बाद भी आपके साथ रहा वह इस sc/st एक्ट पर कुछ देर चिल्लपों करने के बाद चुप होकर बैठ जाएगा पर यहाँ आप भूल गए कि आपके इस sc/st एक्ट की मार सीधे आपके मतदाता पर पड़ी है और वह इसे कदापि सहन नहीं करेगा।
आपके sc/st एक्ट लाने से यह साफ हो गया कि आपकी मंशा अपने दूसरे वादों को पूरा करने के बजाय अपनी सत्ता वापस हासिल करने की मंशा अधिक है।
यानि वह सब झूठ और ढकोसला था कि
"मेरा क्या मैं तो झोला-लोटा लेकर निकल पडूंगा"
मोदीजी काठ की हांड़ी दोबारा नहीं चढ़ेगी।
अब फैसला आपके हाथ में है कि इस नियम को वापस लेकर अपने सवर्ण मतदाता में पुनः विश्वास जगाएं या फिर हमें अपना फैसला लेने के लिये बाध्य करें।
जयहिन्द।
राजेन्द्र सिंह हीरा
अजमेर