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October 8, 2018
#मधुकर कहिन
कोई क्रांति नहीं आने वाली !!!! कृपया ज्यादा खुश न हों
लुटना तो हमें ही है !!! बस लुटेरे बदल जाएंगे ....
नरेश राघानी
लो साहब हो गया चुनावी उतियापा चालू !!! उम्मीद तो थी जल्दी आचार संहिता लगेगी और माहौल गर्म हो जाएगा लेकिन यह सब इस तरह से होगा यह कभी किसी ने सोचा न था। सिवाय मोदी जी और उनके समर्थकों के। वैसे भी क्या फर्क पड़ता है साहब ? इन सत्ताधारी पार्टी के लोगों को बहुत सारी घटनाएं पहले से ही मालूम होती हैं। उदाहरण के लिए नोटबंदी जिसके चलते सभी ने मोटे वाले नोट पहले ही बदलवा लिए , दूसरे उदाहरण के लिए नए रंग बिरंगे नोट चालू होना जो सबसे पहले भाजपा नेताओं के परिजनों के फेसबुक पर दिखाई दिए। ऐसी बहुत सारी चीजों में पहले भी बहुत आगे रहे हैं सत्तारूढ़ पार्टी के नेता लोग । इनका इस मामले में मुक़ाबला भला कांग्रेसी क्या खाकर करेंगे ? फिर भी अपना उत्तरदायित्व तो निभा रही है कांग्रेस । खुला आरोप भी लगा रही है चुनाव आयोग ने जानबूझकर 12:30 बजे की प्रेस कॉन्फ्रेंस 3:00 बजे को टाल दी और उसी दौरान राजस्थान में अजमेर के मंच पर खड़े होकर मोदी चुनावी बातें करते रहे। वसुंधरा ने भी आनन-फानन में मात्र एक जगह बैठकर सारे ही पेंडिंग उद्घाटन निपटा दिए ।
सालों से मानों मजबूरियों की भांग खाकर नशे में पड़ी सोती हुई जनता जो कि नेताओं के किए हुए वादों का बुरा हश्र और राजनैतिक पार्टियों के जबरदस्त बेवफ़ाइयों की मार झेल रही है , उसे लगता है अब कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
सुबह अखबार खोलो तो ऐसे लगा जैसे तोता मैना की कहानियों की किताब खोल दी हो। पेट्रोल ₹5 सस्ता एयरपोर्ट जल्द ही से शुरू चारों तरफ खुशहाली खुशहाली किसानों को मुफ्त बिजली बीसलपुर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का प्रस्ताव नई पानी की लाइनें डालने का प्रस्ताव यह सब देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कि सदियों से डरे हुए बच्चे को नानी ने कहानी की किताब हाथ में दे दी हैं । जबकि अखबार खोलते ही हम जैसे आम आदमी को तुरंत समझ में आ जाना चाहिए कि - हां साहब !!! लगता है कि चुनाव सर पर आ गए हैं। इसलिए कुछ भी संभव है । तितलियां पानी में तैर सकती है और मछलियां पेड़ पर खो खो खेल सकती है कुत्ते शेर की तरह दहाड़ सकते हैं और शेर कुत्ते की तरह आपके पांव चाटने आ सकता है घर पर तो। कृपया किसी भी चीज को सीरियसली ना लें !!!न ही इन बातों की ज्यादा गहराई में ज्यादा जाएं , अन्यथा आपको अपना मानसिक संतुलन खो जाने का खतरा रहेगा। और हां अपने मोबाइल का कैमरा जरूर ऑन रख लीजियेगा कभी भी कोई भी बड़ा नेता जो कि अब तक आपने केवल टीवी स्क्रीन पर देखा हो वह एकदम से आकर आपके गले में हाथ डाल के सेल्फी खिंचवा सकता है जो कि उसके मोबाइल से तो उसी घंटे के दौरान डिलीट कर दी जाएगी लेकिन आपके मोबाइल फ़ोन में शायद आप जीवनभर सेव करके रखेंगे ताकि आप भविष्य में अपने दोस्तों के आगे शेखी बघार सकें कि देखो !!! इतने बड़े नेता के साथ मैं खड़ा हूँ। सच मानिए इस अजीबो गरीब मौसम का इससे ज्यादा कोई मतलब नहीं हैं। क्या जाता है किसी का ? कोई जीते कोई हार जाए । अंत पंत हमें तो जीएसटी जैसे कई टैक्स चाहे समझ आये या न आये बस भरते ही रहने हैं , बच्चों के लिए रोटी कमानी है , स्कूलों की फीस भी भरनी है और तमाम वही काम लगातार करते ही रहने हैं जो सालों से करते आये हैं। जीते हुए नेताओं को सुविधा शुल्क देकर व्यवस्था का ग्रास बनना है और हारे हुए नेताओं के उन्माद से अपनी रक्षा भी करनी हैं। सच मानिए कोई क्रांति नहीं आने वाली !!!! यही है हिंदुस्तान के आम आदमी की किस्मत में । बुरी लग गई हो हमारी बात किसी को तो लग जाये भैया !!!! लेकिन सच यही है ; और मधुकर लिखकर झूठ नहीं बोलता। हाँ आप सामने खड़ा कर के 25 झूठ बुलवा लीजिये तो बोल लेंगे आप ही कि तरह, बस किसी का दिल रखने के लिए। याद रखिये !!! लुटना तो हमें ही है बस लुटेरे बदल जाएंगे ....
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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