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September 21, 2018
#मधुकर कहिन
*हिंदुत्व का झंडा लिए फिर रही केंद्र सरकार क्यूँ उदासीन है सिक्ख समुदाय के हितों को लेकर ?*
*खिलाड़ी नवजोत सिद्धू की करतारपुर दरबार हेतु पुनीत पहल को सलाम*
नरेश राघानी
कल 22 सितंबर यानी कि अंग्रेज़ी तारीख के अनुसार सिक्ख समुदाय के आराध्य देव गुरु नानक साहब की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन सन 1539 में गुरु नानक देव ने करतारपुर नामक गाँव में अपनी देह त्यागी थी।
करतार पुर आज पाकिस्तान में है और हिंदुस्तान की सीमा से कुछ मील दूर ही स्थित पाकिस्तान का सीमावर्ती गाँव है।
कुछ समय पहले भारत के प्रसिद्ध क्रिकेटर नवजोत सिंह सिधू पकिस्तान कि यात्रा पर गए तो अपने मित्र और उन्हीं की तरह पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान में पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म इमरान खान से मिले। इस दौरान सिधू ने पाकिस्तान आर्मी के प्रमुख और इमरान खान से करतारपुर दरबार को हिंदुस्तान के सिक्ख समुदाय के लोगों के लिए गुरु नानक देव की निर्वाण स्थली के दर्शन हेतु खोलने की इजाज़त चाही। जिस पर पाकिस्तान ने तुरंत सहमति जताई और कहा की भारत सरकार से यह प्रस्ताव बनवा कर भेज दें पाकिस्तान इसे मंज़ूर करेगा। सिद्धू के अनुसार इस फैसले में पाकिस्तान आर्मी प्रमुख की भी रज़ामंदी शामिल थी।
सिद्धू इमरान खान से अपने निजी संबंधों की वजह से अपने देश के लिए इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर के खुशी खुशी भारत लौटे। और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सामने अपनी बात रखी। सुषमा स्वराज ने इस बात पर साफ साफ जवाब दे दिया कि इस तरह की कोशिश भारत कई सालों से करता आया है और ये कोई नई बात नहीं है। उल्टा देश भर के *राजनैतिक दलों के नेताओं ने सिद्धू को अपने निजी राजनैतिक स्वार्थों के चलते निशाना बनाना शुरू कर दिया।* *किसी ने कहा कि सिद्धू झूठ बोल रहे है* , किसी ने इसे सिद्धू की सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश बताया।
*लेकिन अपुन को यह बात बिकुल नहीं जमी बॉस ।*
वो यूँ की *इस देश में कश्मीर पर बात बड़ी खुल के की जा रही है , नक्सलवाद पर भी खुल कर चर्चा की जाती है।आखिर ऐसा क्यों ? केवल कश्मीर और अमरनाथ यात्रा का ही ध्यान है नेताओं को ? क्यों केंद्र में बैठी हिन्दू धर्म की रक्षा करने के दावे करने वाली सरकार इस तरह से सिक्ख समुदाय की ऐसी पहल का अनादर कर रही है ?* *क्यूँ सिक्ख हिन्दू नहीं है क्या ? क्यूँ बस कश्मीर कश्मीर कश्मीर के ही बारे में चर्चा ? आपको बताएं क्यों ? क्योंकि सबसे बड़ी बात कश्मीर मुद्दे को सुलझने में समय लगेगा । दूसरी बात कश्मीर संख्या के आधार पे बहुत बड़ा वोटबैंक हैं और बेशर्म नेतागिरी करने वाली जमात बारबार उन्ही मुद्दों पे बात करती है जो उनकी सत्ता के आसपास घूमते है , चाहे कितना ही खून क्यों न बह जाए आम लोगों का बस इनकी दुकान चलनी चाहिए। बेशर्म नेता जमात को बस अपनी कुर्सी की पड़ी है इन्हें नहीं दिखाई देता की इस देश में वर्षों से हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई , आपस में सब भाई भाई - का नारा बुलंद रहा है । चुनाव सामने आते ही चुनावी कीड़े कुलबुलाने लगते हैं । हिन्दू धर्म के ठेकेदार मुस्लिम वर्ग के पक्ष में आकर धर्मनिरपेक्ष बन जाते हैं और मुस्लिम धर्म के ठेकेदार हिन्दू मंदिरों में खड़े होकर एकता की दुहाई देते दिखाई देते है। ऐसे फ़र्ज़ी और कुर्सी परस्त नेताओं की ऊतियापंती से भरे माहौल के बीच यदि कोई वाकई अकेला खड़ा है तो वह है " भारत वर्ष " और इस देश का आम आदमी*
*मोदी बोहरा मुसलमानों के बीच जा कर आ गए लेकिन किसी एक मुसलमान ने भी उनसे वहां यह नहीं पूछा - भाई ये क्या हुआ ? वहीं राहुल गांधी अनायास ही मंदिरों में जाकर घंटी बजने लगे। उनसे भी किसी ने नहीं पूछा - भाई आज याद कैसे आयी?* जानते है इसका मतलब क्या हैं ? इसके मतलब साफ साफ यह है की आम आदमी को कोई मतलब नहीं है जाती और धर्म समुदाय के विवादों से । *भाड़ में गए नेता !!! यही सोच कर आज भी उस आम आदमी की सबसे बड़ी समस्या है उसकी अपनी ज़रूरतें । सस्ता घर , सस्ती बिजली , पेट्रोल, साफ पानी , सड़क , बच्चों की शिक्षा और न्याय परायण प्रशासन।*
इन्ही सब चीजों की गठरी पर अपनी लात रख कर नेता जमात खड़ी हुई है।
*ऐसे बेशर्म और निर्लज नेताओं के बीच दिल से सलाम करने की इच्छा होती है नवजोत सिंह सिद्धू जैसे खिलाड़ी को।*
*जिसने इमरान खान से अपने निजी संबंधों का लाभ अपनी पूरी कौम को ही नहीं अपितु अपनी मातृभूमि को देने की पुनीत पहल की* । चाहे उस पहल का अंजाम केंद्र में बैठी सरकार के नेताओं की उदासीनता के चलते राजनीति की बली चढ़ गया। परंतु इतिहास नवजोत सिंह की इस कोशिश को सदा याद रखेगा।
कोई अतिशयोक्ति हो गयी हो तो करबद्ध क्षमा चाहूंगा लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।
*गुरु नानक देव के निर्वाण दिवस पर उनको सादर नमन*
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
9829070307
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