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September 11, 2018
आज सुबह अखबार पढ़ा तो मुंह से जैसे हाय निकल गई !!!!
राजनीति में लोग किस तरह से अपना बाप और भैया बदलते हैं यह देख कर तो जैसे पैरों तले जमीन खिसक गयी। जब से राहुल गांधी ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट पर हाथ रखा है पायलट समर्थक चारो तरफ पायलट ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे है।अब इन गगनभेदी नारों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की टीम के पौराणिक सदस्य अपने आपको कितना अकेला महसूस करने लगे है इसका अंदाजा अगर किसी को लगाना हो, तो सचिन पायलट के जन्मदिन के अवसर पर जाकर उस भारी भीड़ में हल्की सी नज़र घुमा कर देख आये। गौरतलब बात यह है कि इस भीड़ में कई ऐसे चेहरे दिखाई दिए जो 40 40 साल से अशोक गहलोत के नाम की माला जपते हुए , गहलोत की निष्ठा का पोस्टर अपने मुंह पर चिपकाए घूम रहे हैं। यह भीड़ तमाम उन लोगों की निष्ठा का पर्दाफाश करने के लिए बहुत थी जो सालों से अपने आप को अशोक गहलोत की परछाई मानकर गहलोत से सैकड़ों बार राजनीतिक लाभ उठा चुके हैं। फिर ऐसे पुराने दिग्गजों का यह महसूस करना कि अशोक गहलोत क्या अब वाकई कमजोर हैं? और सचिन पायलट की इच्छा के बिना क्या टिकट मिलना असंभव है ? - यह निसंदेह सचिन पायलट के लिए एक उपलब्धि है । पायलट को यह उपलब्धि महसूस करवाने वालों की जमात में अजमेर के बड़े नाम शुमार हैं । जिनके बारे में यदि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी मालूम पड़ेगा तो वह भी दांतों तले उंगलियां दबाते हुए हैरानी के शिकार जरूर होंगे और शायद गहरा दुख भी महसूस करेंगे।अब इतनी सारी बातें कहने के बाद भी अजमेर के बुद्धिजीवियों को क्या यह बताना पड़ेगा कि वह नाम अजमेर कांग्रेस की आगरा गेट पंचायत के सदर डॉ बाहेती का है। डॉ बाहेती कांग्रेस के उन नेताओं में से रहे है जिन्होंने कई लोगों को जीवन में निष्ठा और राजनीति के पाठ पढ़ाये है। और गहलोत काल में जिनका एकछत्र राज रहा है। ऐसे व्यक्तित्व का इस तरह से अपनी निष्ठा बदल देना बहुत अचंभित करता है। लेकिन अब इसके पीछे क्या रणनीति छिपी है यह तो राजनीति ही जाने । लेकिन डॉ बाहेती से ऐसी उम्मीद भले अशोक गहलोत को हो न हो , उन्हें अच्छी तरह जानने वालों को बिल्कुल नहीं थी। फिर आखिर इतने लंबे राजनैयिक जीवन में अशोक गहलोत से इतना सब कुछ प्राप्त करने के बाद भी अपना स्वाभिमान त्याग कर ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गयी थी थी कि इतने सालों की निष्ठा और सदृढ़ छवि को इस तरह से नुकसान पहुंचाया जाए। यह सवाल पूछने का मन करता है डॉ बाहेती से । यह कोई और नेता होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन डॉ बाहेती जैसी मजबूत छवि के नेता से यह उम्मीद किसी को न थी।
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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