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July 4, 2018
इस शहर में इन दिनों बड़ी अजीब अजीब घटनाएं हो रही है सड़कों पर निकलो तो गाड़ियां कम और होर्डिंग ज्यादा दिखाई देते हैं। *कोई जन्मदिन मना रहा है, कोई शुभकामना दे रहा है, और तो और कोई अपने आपको उम्मीदवार ही घोषित करके हाथ खड़ा कर रहा है* *कोई इनसे पूछे भाई !!! प्रक्रिया शुरू हुई नहीं बात आगे बढ़ी नहीं अभी कुछ भी हुआ नहीं ... आप लोग क्यों यह होर्डिंग होर्डिंग खेल कर पैसा बर्बाद कर रहे हैं ?* लगभग सभी राजनीतिक दलों का हर तीसरा आदमी अपने आप को MLA घोषित कर चुका है। राजनीतिक पार्टियां इस असमंजस में पड़ गई है कि आखिर कितनों को MLA बनाया जाए?
फिर यदि कोई ऐसा कानून पास हो जाए कि हर विधानसभा क्षेत्र से 5 लोगों को MLA बनाया जाएगा तो भी शायद विधानसभावार 20:20 लोग टिकट मांगने लगेंगे ।
*नहीं जान में दम बस MLA बनेंगे हम* की तर्ज पर लगभग *हर छोटा-बड़ा नेता राजभवन के लाल कारपेट पर चलने के सपने संजो रहा है ।* चाहे वो खिलौनेवाला हो या ठेला चलाने वाला हो बस लगे हैं किस्मत आज़माने में।
*कमबख्त होर्डिंग वाला बोर्ड अगर जीवित होता तो अपनी जगह से उठकर भाग खड़ा होता और यह सोचकर कि आखिर मेरी हालत क्या बना दी है इन नेताओं ने ? जो आता है सरकारी घंटे की तरह बजा कर निकल जाता है। जिसके मन में आता है वह अपनी तस्वीर खिंचवा कर मेरे मुंह पर चिपका देता है । जिस अधिकारी को समझ में आती है नगर निगम से उठकर आता है फिर मेरे मुंह पर चिपकी तस्वीर नोच कर फेंक देता है। अभी सांस लेने जैसा होता हूँ कि फिर कोई आ जाता है अपनी तस्वीर लेकर मेरे मूंह पर चिपकने। इस त्रासदी से गुज़र गुज़र कर बेचारा होर्डिंग बोर्ड अपनी खुद की शक्ल याद रखने में असमर्थ महसूस करता होगा।*
जहां तक नियम कायदे की बात है होर्डिंग केवल नगर निगम द्वारा दिये गए ठेकेदार के माध्यम से ही लगाए जा सकते हैं। जिसके ठेकेदार निगम में पैसे जमा करवा कर ठेका ले लेते है। इसमें निगम का बस यह रोल होता है कि अवैध तरीके से होर्डिंग न लगाएं जाएं। *इसमें भी राजनीति की टांग बीच में आ जाती है । वो यूँ की जिस पार्टी की सत्ता होती है उस पार्टी के नेताओं द्वारा लगाए गए अवैध होर्डिंग फिर भी शायद नहीं उतरे जाते। बाकियों का तो जो हश्र होना होता है वही होता है । कुछ रोज़ लगे रहते है उसके बाद उतार दिए जाते है।* कल शाम ही कि बात है कि कांग्रेस नेता दीपक हासानी और महेंद्र सिंह रलावता के लगे हुए होर्डिंग निगम ने उतार दिए। जिससे शहर में यही चर्चा जोरों पर है कि *निगम आखिर कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा लगाए गए होर्डिंग्स पर इतनी सख्ती क्यों कर रहा है ?* यदि *निगम वाकई शहर की दशा इस मामले में सुधारने का इच्छुक है को तो यह पहल भाजपा नेताओं के होर्डिंग उतारने से क्यों नहीं की जाती ?* *फिर जब सालों से इस बात की चिंता निगम को नहीं हुई कि कौन कहां होर्डिंग लगा रहा है कहां नहीं और कौन सा होर्डिंग वैध है? कौन सा अवैध ? तो अब बस इस चुनावी साल में ही निगम को इन बातों की याद क्यों आई है ?*
खैर !!! यह तो चर्चाएं हैं चर्चाओं का क्या होती रहती है मुद्दे की बात यह है कि यदि *इसी तरह नेता लोग आए दिन होडिंग होडिंग खेलते रहे तो अजमेर को स्मार्ट सिटी आखिर कैसे बना पाएंगे हम ? फिर यह जिम्मेदारी आम आदमी से ज्यादा तो इन नेता लोगों पर ही है । जो कि अपने आप को आम आदमी की आवाज या जन प्रतिनिधि मानते हैं कि ज्यादा से ज्यादा चीजें कानूनी दायरे में और नियम कायदे अनुसार की जाए तभी सही मायने में अजमेर को स्मार्ट अजमेर बन पायेगा* ।
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
9829070307
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