Post Views 1251
June 10, 2018
मित्रों राज्य के विधानसभा चुनाव मुंह बाएं खड़े हैं और ऐसे में नेतृत्व की ज़िम्मेदारी अगर मेरे हाथ होती तो मैं शहर के दोनों प्रत्याशियों का चुनाव करके उन्हें मैदान-ए-ज़ंग में झोंक चुका होता। पर यहाँ उल्टा हो रहा है।
टिकट की चाह में कांग्रेसियों ने छोटे छोटे टापू बनाकर उसपर अपने अपने झण्डे गाड़ लिये हैं।
मुझे तो कांग्रेस में एकला चलो रे के साथ साथ संवेदनहीन और अराजक प्रवृत्ति भी दिखाई दे रही है।
उदाहरण स्वरूप पूर्व पार्षद और नेता प्रतिपक्ष रहे अमोलक सिंह छाबड़ा के भ्राता के निधन पर दाह संस्कार के समय महेन्द्र सिंह रलावता के अलावा कोई और कांग्रेसी उपस्थित नहीं था जबकि दुःख की घड़ी में एकजुटता दिखाने की ज़रूरत होती है।
जब शहर अध्यक्ष विजय जैन का पुतला कोई अनजान कांग्रेसी फूंक दें तो उसे आप क्या कहेंगे ?
जब राजेश टंडन जैसे पुराने कांग्रेसी नेता पानी की पाइप लाइन तोड़ने की बात करके अराजकता फैलाना चाहते हों और शीर्ष कांग्रेसी नेतृत्व चुप हो तो इसे संगठन की कमजोरी ही कहा जायेगा।
यह सब प्रदर्शित कर कांग्रेस जीत के सपने कैसे देख सकती है ?
जो कांग्रेस एकजुट नहीं है , जिसमें आपस में ही सौहार्द नहीं है , जो असंवेदनशील और अराजक है मतदाता उसे कैसे वोट दे सकता है ?
कुलमिलाकर नेतृत्व का ढुलमुल रवैया देखते हुए यही कहना चाहूंगा कि कांग्रेस को जीतने के लिये आग के दरिया को डूबकर पार पाना होगा और जिसमें संभावनाएं अतिक्षीण हैं।
जयहिन्द।
राजेन्द्र सिंह हीरा
अजमेर
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved