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June 9, 2018
सरकारी चैनल राज्यसभा टीवी ने चाटुकारिता के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है । माना साहब !!! की आप सरकार के मुखपत्र है। लेकिन आप एक मीडिया कर्मी भी तो है । यह क्यों भूल जाते हो भाई ? चलिए यह भी मान लेते हैं कि आप सरकारी नौकर है। तो भी ... आपका दायित्व यह है कि सरकार की योजनाओं को लोगो तक प्रचार के माध्यम से पहुंचाना। सरकार का पक्ष लोगों को समझाना भी आपके दायित्वों में हो सकता है ? परंतु आप किसी भी व्यक्ति विशेष को जो कि यह दावा करते नहीं थकता की हम सत्ता लोभी नहीं है हम केवल देशभक्त हैं। ऐसे गैर सरकारी को आप सरकारी चैनल पर परमपूज्य कैसे लिख सकते हैं यह बताइए ? और यदि यह परम पूज्य नहीं लिखा है तो कृपया बताएं यह क्या है ? प के बाद बिंदी और पू के बाद बिंदी पढ़ने में तो परम पूज्य ही लगता है । इसे पप्पू तो कहेंगे नहीं !!!
बहराल बहुत-बहुत साधुवाद ट्विटर मित्र वसुधा वेणुगोपालन का जो कि टाइम्स ग्रुप में पत्रकार हैं और जिन्होनें खुद मीडिया कर्मी होते हुए भी हिम्मत की यह फोटो ट्वीट करने की । बेरोजगारी के आंकड़े छुपाकर जनता का मुंह बंद करने की कोशिश करने वाली मोदी सरकार के प्रेस मैनेजमेंट से कांग्रेस को शायद अभी बहुत सीखना बाकी है । यदि लोकतंत्र की हत्या करने की ऐसी बेशर्म कोशिशों को चिन्हित करके इनका मुखर विरोध नहीं दर्ज कराया गया तो वह दिन दूर नहीं है जब इन चैंनलों पर नेताओं की भगवान की तरह पूजा करवाई जाएगी। राज्यसभा टीवी का यह रवैया मीडिया जमात के लिए बेहद शर्मनाक है ।
अक्सर निजी मीडिया चैनलों पर आरोप लगाया जाता है कि वह पेड न्यूज़ चला रहे हैं। जो भी उन्हें ज्यादा पैसा देता है , चैनल पर केवल उसी का पक्ष दिखाया जाता है। जो कि निश्चित तौर पर एक गलत है। चलो यदि इस नजरिए से भी देखा जाए तो भी राज्यसभा टीवी को सबसे ज्यादा पैसा जनता द्वारा दिए हुए कारों से आता है । इसलिए भी राज्यसभा TV का यह दायित्व बनता है सबसे ज्यादा जनता का पक्ष दिखाए। सरकार में सीधे या अन सीधे तरीके से बैठे हुए सत्ता लोलुप नेताओं का नहीं।
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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