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June 1, 2018
संसाधनों की कमी की वजह से दुर्दशा का सामना कर रही अजमेर में स्थित देश की दूसरी बड़ी फ़िल्म लाइब्रेरी।
स्मार्ट सिटी का गीत गाते राजनेताओं को अब तक नहीं कोई होश ।
नरेश राघानी
किसी शायर ने कहा है -
वक्त जालिम है बड़ा इसका क्या कीजे
अच्छे अच्छों को ठिकाने से लगा देता है ..
कुछ ऐसा ही हाल है हमारे अजमेर में संचालित देश की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी फ़िल्म लाइब्रेरी का। यह सुनकर बड़ा अजीब लग रहा होगा आपको लेकिन यह सच है। अजमेर में 1952 से लेकर आज तक की जो भी अच्छी फिल्में हुई है वह फिल्में। अजमेर की इस फिल्म लाइब्रेरी में आज तक सुरक्षित है । वक्त बीत गया रील वाली फिल्म से लोग सीडी पर आ गए और अब सीडी से मोबाइल पर आ चुके तो। लेकिन ऐसी सैकड़ों फिल्में जिन्होंने सिनेमा जगत में अपनी छाप छोड़ कर सैकड़ों कीर्तिमान स्थापित किए हैं और कुछ ऐतिहासिक फ़िल्म फुटेज जो कि इतिहास का हिस्सा हैं आज तक अजमेर की पौराणिक फिल्म लाइब्रेरी में सुरक्षित है
सन 2016 में राजस्थान प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने फिल्म लाइब्रेरी का दौरा तक किया है । तब अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने इस लाइब्रेरी की बिगड़ती हुई दशा देखकर इस सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित करने हेतु दो करोड़ रुपए की राशि का ऐलान भी किया था। जिसके तहत यह सभी फिल्में सीडी में कन्वर्ट की जानी थीं और रील वाली डब्बा युक्त फिल्में अपने मूल रूप में अजमेर के संग्रहालय में संरक्षित की जानी थी । परंतु अफसोस अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है । और मारे गर्मी के सैकड़ों फिल्मों की रील आपस में चिपकने से खराब हो गई है । कार्यवाहक फिल्म लाइब्रेरियन निगमचंद ने बताया कि पहले यहां पर खूब स्टाफ हुआ करता था, जो इस लाइब्रेरी की देखभाल किया करता था। फिर संसाधनों की कमी के चलते यहां सब कुछ थम सा गया है । अब वह बस खुद ही बच गए हैं और बाकी स्टाफ हटा दिया गया है। आर्थिक सहायता ना मिलने के कारण अब उन्हें फिल्म लाइब्रेरी मेंटेन करने में भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। होराइजन हिंद की टीम ने लाइब्रेरी में पड़ताल की जिस के दौरान यह सामने आया कि फिल्मों को ठंडा रखने के लिए वहां सैकड़ों कूलर चला कर रखे जा रहे हैं। ताकि उपयुक्त तापमान मेंटेन किया जा सके, और बाकी बची फिल्में गर्मी में खराब ना हो। हैरत की बात है न !!! जहां स्मार्ट सिटी के नाम पर अजमेर में करोड़ों रुपए लगाए जा रहे हैं वहीं पर एक राष्ट्र स्तर की फिल्म लाइब्रेरी की ऐसी दुर्दशा होती दिखाई दे रही है । फिर ऐसे प्रगति भी किस काम की ? जो प्रगति अपनी ही सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर संभाल न सके।
सरकारें आई और सरकारें चली गई परंतु यह फिल्म लाइब्रेरी आज भी जस की तस अजमेर के सांस्कृतिक गौरव को संभाले हुए अपनी जर्जर अवस्था में खड़ी हुई सांस्कृतिक संरक्षण की लड़ाई खुद लड़ रही है।
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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