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June 1, 2018
भाई सचिन पायलट की सूझबूझ की दाद देनी पड़ेगी
नरेश राघानी
अशोक गहलोत के राजनैतिक पुनरुत्थान के बाद पूरा मीडिया जहां पर जबरदस्त तरीके से अशोक गहलोत की सफलता के गीत गा रहा था और अशोक गहलोत समर्थित कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर दौड़ रही थी, उस के दौरान जिस तरह से सचिन पायलट ने अपने आप को खामोश और केवल अपने काम तक सीमित रखा है वह वाकई उनकी राजनीतिक परिपक्वता का सूचक है।
संगठन को पूरे प्रदेश में मजबूती से खड़े रखने में सचिन पायलट को अच्छी खासी कामयाबी हासिल हो रही है। लगभग हर जिले में कांग्रेस की मजबूती इकाई का गठन हो चुका है। सिर्फ अजमेर में ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में, हाल ही में जो ब्लॉक अध्यक्षों की सूची जारी की गई है इस सूची में साफ तौर पर नए और पुराने लोगों का सम्मिश्रण साफ दिखाई दे रहा है। अजमेर जिले में उन्होंने मजबूत नए चेहरों पर अपना दांव खेला है। क्योंकि सचिन पायलट की शुरू से ही संगठनात्मक प्रवृत्ति प्रयोगवादी रही है इसलिए हो सकता है कुछ लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है । लेकिन वह नाराजगी भी जल्द ही दूर हो जाएगी , और अब लगने लगा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पहले से ज्यादा मजबूत बनकर उभरेगी। पायलट अपने फैसले पर कितना दृढ़ निश्चय रखते है इसका एक ताजा उदाहरण मैं आपको बताऊं। वह यह है कि अजमेर के कुछ कांग्रेस जन हाल ही में हुई ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन से खासी नाराज चल रहे थे । सभी मिलकर सचिन पायलट के पास इसका विरोध करने पहुंचे जिसमें प्रमुख तौर पर कैलाश झालीवाल, गुलाम मुस्तफा ,सर्वेश पारीक ,नौरत गुर्जर और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप यादव भी शामिल थे । पायलट ने पहले तो उन सभी की बात बड़े गौर से सुनी जिसमें इन सभी नेताओं ने शहर अध्यक्ष की परफॉर्मेंस को लेकर नाराजगी जाहिर की और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति पर भी अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया दी। पायलट ने बड़ी शांति से सब की बात सुनी और अंततः वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप यादव से कहा कि प्रताप जी आप भी !!! जिस पर प्रताप यादव ने पायलट से कहा कि साहब यह लोग मुझे अपने साथ ले आए हैं ।पायलट ने मुस्कुरा कर कहा कि इतने वरिष्ठ होकर आप अभी तक यह निर्णय नहीं कर पाए की कहां साथ खड़े रहना है कहां नहीं और मुस्कुरा दिए । जिस पर प्रताप यादव ने हाथ जोड़कर उन्हें अभिवादन किया और इस मुलाकात का वही अंत हो गया । पायलट ने जिस खूबसूरती से अपनी प्रतिक्रिया अजमेर के कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल को दी वह वाकई बहुत ही परिपक्व लगी । पायलट के इस व्यवहार से ऐसा लगने लगा है कि वाकई उन्हें भी अब किस परिस्थिति को किस तरह से हंस के टालना है , वह आ गया है ।
गौरतलब बात यह है कि विजय जैन जब से शहर अध्यक्ष बने हैं उसके बाद कांग्रेस अजमेर में मजबूत हुई है । और लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को शानदार मजबूती का प्रदर्शन करने में मदद मिली है । कमोबेश हर छोटा-बड़ा नेता लगभग विजय जैन के व्यवहार से खुश नजर आता है ।
अब संगठन है !!! संगठन में नाराजगी तो चलती रहती है। परंतु संगठन के मुखिया का काम सब की नाराजगी सुनना ही तो है । बस वही पायलट ने किया । इसी तरह से पूरे प्रदेश भर से यही सुनाई दे रहा है कि पायलट के पास जब भी कोई अपनी नाराजगी लेकर पहुंचता है तो इन दिनों वह बड़े ही नरम स्वभाव से सब की बात बैठ कर सुनते हैं और लगभग इसी तरह से अपनी प्रतिक्रिया देकर सब को संतुष्ट कर के भेज देते हैं । अजमेर में अशोक गहलोत खेमे में गहलोत के पुनः जागरण के बाद जो लहर दिखाई दे रही है उस लहर के तहत अशोक गहलोत गुट के उत्साही नेतागण भी पायलट के इस व्यवहार से बहुत प्रभावित हैं । और अब पायलट की वैसी कड़ी आलोचना नहीं करते जैसे कुछ समय पहले किया करते थे । बल्कि गहलोत गुट के अजमेर में कर्णधार डॉ गोपाल बाहेती तक कई कार्यक्रमों में पायलट के साथ बड़े आराम से खड़े हुए दिखाई देते हैं । यह सब देख कर ऐसा लगता है कि पायलट सभी लोगों के बीच में अपनी जगह बनाने में काफी हद तक कामयाब हो चुके हैं। यदि पायलट का यह सद व्यवहार चुनाव तक यूं ही कायम रहा तो निश्चित ही कांग्रेस को राजस्थान प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में एक बड़ी जीत हासिल होने की भरपूर संभावना है।
अब आने वाले समय में यदि कांग्रेस की जीत होती है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे या सचिन पायलट इसका फैसला तो आने वाला वक्त ही करेगा । परंतु आज सचिन पायलट की कार्यशैली देखकर जिस तरह का प्रभाव कांग्रेसजनों पर प्रदेश भर में पड़ रहा है उससे वाकई यह लगने लगा है कि गहलोत चाहे राजस्थान के जननायक हैं परंतु सचिन पायलट निश्चित तौर पर आने वाले समय में राजस्थान प्रदेश के मुख्यमंत्री पद हेतु एक मजबूत युवा चेहरा बनकर उभरेंगे ।
जय श्री कृष्णा
प्रधान संपादक
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