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March 21, 2018
बुधवार 14 मार्च 2018 को लोकसभा में राजनीतिक पार्टियों को विदेशी चन्दा लेने से सम्बंधित विधेयक (विदेशी अधिनियम FCRA संशोधन) शोर-शराबे के बीच बिना बहस के पारित कर दिया गया।
इस संशोधन पर बहस होना तो दूर आम राय तक नहीं ली गई।
इस विधेयक के पास होने से 1976 के बाद से मिले विदेशी चन्दे की अब जांच नहीं होगी।
इस संशोधन विधेयक का TMC और CPM के अलावा किसी भी पार्टी ने विरोध नहीं किया।
बीजेपी का चुनावी फंडिंग को पारदर्शी करने का वादा इस संशोधन के पारित होते ही ढकोसला साबित हुआ।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2014 में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को FCRA के उल्लंघन का दोषी करार देकर फटकार लगाई थी।
इस संशोधन के पारित होने से बीजेपी और कांग्रेस दोनों को उस फैसले से बचने में मदद मिलेगी।
इस संशोधन को पारित करने से भाजपा की भ्रष्टाचार विरोधी छवि भी धूमिल हुई है।
इस संशोधन का ना तो कांग्रेस और ना ही अन्य किसी पार्टी ने विरोध किया।
चोर चोर मौसेरे भाई।
चुनाव लड़ने के लिये फण्ड तो सबको चाहिये। चुनाव बहुत खर्चीले हो गये हैं तो देसी नहीं विदेशी फण्ड की भी दरकार है।
अब चूंकि विदेशों से मिले चन्दे की जांच नहीं होगी तो विदेशों का कालाधन आसानी से चन्दे की शक्ल में भारत आ जाएगा।
इतना ही नहीं विदेशी कंपनियां चन्दे की शक्ल में पार्टियों को रिश्वत देंगी बदले में मनचाहा काम , ठेके , लाइसेंस और व्यापार करने की छूट ले लेगीं।
CIA चाहे तो राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग करके सरकार बनवा दे या बनी बनाई सरकार को गिरवा सकती है।
लबोलुबाब यह कि आम आदमी करे तो भ्रष्टाचार और नेता या राजनीतिक पार्टियां करें तो सदाचार।
मोदीजी गाते फिरते हैं कि आम इंसान को सहूलियत देने के लिये 1200 कानून समाप्त कर दिये एक यही 1976 से चला आ रहा कानून छूट गया क्योंकि इसके बने रहने से और अब तो संशोधित होने से भाजपा का फायदा ही फायदा है।बेहिसाब चंदा मिलेगा चुनाव लड़ने और जीतने के लिये।
राजनीतिक पार्टियों को मिले विदेशी चंदे को जांच से मुक्त करवाकर भाजपा ने भ्रष्टाचार का स्वरुप ही बदल दिया है।
जयहिन्द।
राजेन्द्र सिंह हीरा
अजमेर
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