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March 16, 2018
मित्रों दो-तीन दिन पहले राज्य के शिक्षा मन्त्री श्री वासुदेव देवनानी जी ख़बरों में थे कि दिल्ली में वे विभिन्न केंद्रीय मन्त्रियों से मिले और अजमेर के विकास बाबत उनसे बातें कीं।
सुरेश प्रभु जी से मिलकर अजमेर हवाई अड्डे से अधिक उड़ानों और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की भी मांग की।
(जबकि अजमेर हवाई अड्डे से अभी उड़ाने आरम्भ नहीं हुई हैं।)
देवनानी जी पीयूष गोयल जी से भी मिले और मिलकर अजमेर रेलवे स्टेशन और रेल सेवाओं के विस्तार व आधुनिकरण पर बात की।
खबर पढ़कर अच्छा लगा कि बन्दा अपने विभाग के अलावा भी रेल और नागरिक उड्डयन विभाग में रूचि ले रहा है।
पर आज की खबर "प्रदेश के 50% सरकारी कॉलेजों में अंग्रेजी पढ़ाने के लिये शिक्षक नहीं" पढ़कर माथा पीट लिया।
ऐसा कैसे हो सकता है कि आप अपने विभाग और वो भी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग को नज़रअंदाज़ कर दें और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिये दूसरे विभागों के मन्त्रियों से मिलकर फोटो खिंचवाएं।
मित्रों शिक्षा विभाग के अन्तर्गत सरकारी कॉलेजों में केवल अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों की जानकारी ( भास्कर अध्ययन) जो इस प्रकार है:-
1) प्रदेश के 204 कॉलेजों में से 95 में एक भी अंग्रेजी शिक्षक नहीं।
2)प्रदेश के 83 कॉलेजों में 1 व 12 कॉलेजों में 2 पद स्वीकृत सभी खाली हैं।
3)बेमेल नियुक्तियां।
ज़िला मुख्यालयों और इसके आसपास 6 सरकारी कॉलेजों में जरुरत से अधिक शिक्षक।
सम्भावना:- सिफारिशी या चहेतों की नियुक्तियां।
4) 10 कॉलेजों में अंग्रेजी पढ़ाने के लिये पद ही स्वीकृत नहीं।
इनमें से अधिकांश कन्यामित्रों दो-तीन दिन पहले राज्य के शिक्षा मन्त्री श्री वासुदेव देवनानी जी ख़बरों में थे कि दिल्ली में वे विभिन्न केंद्रीय मन्त्रियों से मिले और अजमेर के विकास बाबत उनसे बातें कीं।
सुरेश प्रभु जी से मिलकर अजमेर हवाई अड्डे से अधिक उड़ानों और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की भी मांग की।
(जबकि अजमेर हवाई अड्डे से अभी उड़ाने आरम्भ नहीं हुई हैं।)
देवनानी जी पीयूष गोयल जी से भी मिले और मिलकर अजमेर रेलवे स्टेशन और रेल सेवाओं के विस्तार व आधुनिकरण पर बात की। कॉलेज हैं।
"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" शिक्षा मन्त्री
वासुदेव देवनानी जी के लिये नारा भर है।
5) 83 कॉलेजों में एक पद वह भी वर्षों से खाली।
6)12 कॉलेजों में 2 पद वे भी भरे नहीं गये हैं।
7) 15 कॉलेजों में 2 पद 1 पद खाली है।
8) 10 कॉलेजों में पद ही स्वीकृत नहीं।
अब सोचो जिसके अपने ही विभाग में और वह भी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण में अँधेरा है वह चला है दूसरे विभागों के कामों की वाहवाही लूटने।
देवनानी जी ऐसा लगता है वर्षों से आपने कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति और उपलब्धता पर ध्यान ही नहीं दिया है शायद ज़रूरत ही न समझी हो।
बहुत पहले एक फिल्म देखी थी " चला मुरारी हीरो बनने" न जाने क्यूँ आज उसकी याद आ रही है ?
देवनानी जी जनता जाग्रत है उसे काम चाहिये काम।
आपकी लोकप्रियता से उसको कोई वास्ता नहीं।
कहावत सही ही कही जाती है।
" चिराग तले अँधेरा "
जयहिन्द।
राजेन्द्र सिंह हीरा
अजमेर
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