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क़लमकार: ना जाने कब सरकार किसान को अन्नदाता का सम्मान देगी

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March 13, 2018


जय जवान जय किसान।

राजेन्द्र सिंह हीरा


आपको जानकर आश्चर्च होगा कि किसान फसल बीमा के नाम पर मध्यप्रदेश के किसानों को सौ दो सौ का ही भुगतान हुआ।

इस बीमा योजना का लाभ केवल और केवल बीमा कम्पनियों को हुआ है।

अब इन बीमा कम्पनियों के लाभ में कौन कौन हिस्सेदार है यह जांच का विषय हो सकता है।

2016 में मोदीजी ने फसल बीमा योजना को मंजूरी देते हुए कहा था कि हर जिले में अनाज के भण्डारण की व्यवस्था की जाएगी।

पर ऐसा हो न सका।

आज आलम यह है कि ।मध्यप्रदेश , पंजाब और छत्तीसगढ़ के किसान अपना अनाज खुले में रखने को मजबूर हैं। जहाँ कहीं भण्डारण की व्यवस्था है भी तो उसमें सरकारी अनाज भरा हुआ है।कुछ जगह गोदामों में बच रहती है तो उसमें रसूखदार लोगों का अनाज रखा जाता है।

आम किसान तो अपना धान खुले में ही रखने को मजबूर है।

देश भर में अनाज भण्डारण की समस्या विकराल रूप लिये हुए है।

आप यह सुनकर अचम्भित होंगे की बारिश में भीगकर इतना अनाज बर्बाद हो जाता है जितना कि एक महीने में 10 लाख परिवार खा सकें।

यानि अगर यह अनाज भीगकर बर्बाद ना हुआ होता तो यह दस लाख परिवारों के लिये एक महीने तक का भोजन होता।

अब आप समझ सकते हैं कि भंडारण व्यवस्था न होने से देश का कितना बड़ा नुकसान प्रतिवर्ष हो रहा है।

सरकार किसान के प्रति ना तो पहले संवेदनशील थी और ना ही आज है।

ना जाने कब सरकार किसान को अन्नदाता का सम्मान देगी ?

जयहिन्द।


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