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March 10, 2018
इतिहासकार, दार्शनिक और लेखक युवाल नोह हरारी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 में हिस्सा लिया और भारत में बायोमैट्रिक आधार सिस्टम के बारे में अपनी राय रखी है. हरारी ने शुक्रवार को मुंबई में हुए इस कार्यक्रम में कहा कि तकनीक का विरोध करना तर्कसंगत नहीं है, इसलिए कुछ नुकसानों के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम को दरकिनार नहीं किया जा सकता है.
तकनीक अंतिम निर्णायक नहीं हो सकती
हरारी ने कहा है कि कोई भी तकनीक अंतिम रूप से निर्णायक नहीं हो सकती. हर तकनीक के कुछ बुरे और कुछ अच्छे पहलू होते हैं. अगर कुछ नुकसानों की वजह से बायोटैक्नोलॉजी को छोड़ दिया जाए तो यह बेवकूफी होगी. उन्होंने कहा कि अगर इंसान जाति पिछले आविष्कारों को उनके आशंकित नुकसानों की वजह से त्याग देती तो यह कितनी बड़ी बेवकूफी होती.
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