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March 8, 2018
त्रिपुरा में 25 साल के कम्युनिस्ट शासन को उखाड़ फेंकने के जोश में कई लोग लेनिन की मूर्तियां तोड़ने में लग गए हैं. कई दक्षिणपंथी नेता तो इसे वाजिब ठहराते हुए इसके लिए तर्क भी गढ़ने लगे हैं. लेकिन ऐसे लोग यह जानकर चकित हो सकते हैं कि उनके लिए हिंदुत्व के प्रतीक पुरुष वीर सावरकर खुद साम्यवादी क्रांति के अगुआ व्लादीमीर लेनिन से लंदन में मिले थे.
साम्यवाद के अंध विरोधी बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को यह जानकर भी हैरानी होगी कि हिंदू हृदय सम्राट कहे जाने वाले विनायक दामोदर सावरकर लेनिन के प्रशंसक थे और अक्सर रूसी नेताओं द्वारा लिखे जाने वाले पर्चों को पढ़ते थे.
यह हर कोई जानता है कि महात्मा गांधी की विचारधारा को सावरकर पसंद नहीं करते थे. उन्होंने महात्मा गांधी की अहिंसक स्वतंत्रता संग्राम के विचार का विरोध किया था. इस मामले में सावरकर लेनिन जैसे क्रांतिकारियों को ज्यादा व्यावहारिक मानते थे.
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