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February 23, 2018
जब से सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तब से ही लेकर आज तक। चाहे जब कांग्रेस उप चुनाव की तैयारी कर रही थी तब भी, जब कांग्रेस चुनाव लड़ रही थी तब भी , आज कांग्रेस उपचुनाव जीत गई है उसके बाद भी, जिस तरफ देखो कांग्रेस में एक ही चर्चा गर्म है कि अगले मुख्यमंत्री सचिन पायलट होंगे।
लेकिन एक बहुत बड़ा कांग्रेस का धड़ा आज भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में है, 12 जनवरी को अपने सीकर दौरे के दौरान एक गजब की बात अशोक गहलोत ने मीडिया के सम्मुख अपने बयानों में कही की थी - हालांकि बयान पुराना है लेकिन एक दिशा देता है विचार को। गहलोत ने कहा -
*पहले सरकार तो आ जाए , सरकार तो बना लो उसके बाद मुख्यमंत्री कौन होगा उसका फैसला कर लेना*
गहलोत ने यह भी कहा की केवल वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं बल्कि पहले जितने भी प्रदेश अध्यक्ष हुए हैं कांग्रेस के , उनके प्रदेश अध्यक्ष बनते ही कुछ मीडिया कर्मी जाकर प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को घेर लेते हैं, और रोज बैठकर प्रदेश अध्यक्ष से एक ही चर्चा करते हैं कि भाई आप आने वाले मुख्यमंत्री हैं । उन्होंने बिना पायलट का नाम लिए कहा कि - हमारे राजस्थान में तो कायदा है की जब भी कोई कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बन जाता है , बनते ही पांच छः मीडिया वाले उसके दोस्त बन जाते हैं और उस बेचारे को मुख्यमंत्री बना देते हैं। और वह व्यक्ति भी उसी हवा में चलता रहता है, जिससे पार्टी को नुकसान होता है। और इस तरह का घेराव उनका भी 1993 में हुआ था जब वह प्रदेश अध्यक्ष बने थे। लेकिन वह इस घेराव में नहीं आए और बस अपना काम करते रहें । जिसके फलस्वरुप कॉन्ग्रेस पार्टी ने उनके काम से खुश होकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया।
अशोक गहलोत का बयान वाकई अपने आप में उनके अनुभव का आईने जैसा था। और परम सत्य भी। वाकई जब भी कांग्रेस में कोई भी प्रदेश अध्यक्ष बना है चाहे वह डॉ बीडी कल्ला हो डॉ चंद्रभान हो या डॉ गिरिजा व्यास हो सबने यही अनुभव किया होगा अपने अपने कार्यकाल में । तजुर्बे की बात तो यही रही है कि राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में जो भी इस तरह से मीडिया में मुख्यमंत्री बन कर उछाला गया है उसे इसी मीडिया की उछाल का राजनैतिक नुकसान ही उठाना पड़ा है। डॉ सी पी जोशी को तो बाकायदा पार्टी के भीतर उनके शुभ चिंतकों ने मारे जलन के ऐसा निपटाया की पूरे प्रदेश में कांग्रेस को बतौर कांग्रेस अध्यक्ष दिन रात मेहनत कर के पार्टी को जीत दिलवाने के बावजूद जोशी को विधायक तक नहीं बनने दिया गया । वर्ना पूरे प्रदेश में जिस सीपी जोशी ने इतनी शानदार जीत दिलवाई क्या वह अपनी सीट से चुनाव हार जाता वो भी मात्र एक वोट से ? लेकिन जीत कर वह कहीं मुख्यमंत्री न बन जाये बस इसी धुन में जोशी को हराने में विरोधियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी । जिसका मुख्य कारण ही जोशी का बिल्कुल यही मीडिया प्रोजेक्शन था जो इन दिनों पायलट का दिखाई दे रहा है। जब चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी कि सत्ता आयी जोशी की वजह से और उस एक वोट ने जोशी को मुख्यमंत्री बनने से रोक दिया , तब कांग्रेस संगठन ने जोशी को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बना कर सम्मान दिया था। इसी लिए पायलट को इस तरह की चर्चाओं को हवा नहीं देनी चाहिए और अपने शुभचिंतकों को भी इस तरह की बातें करने से रोकना चहिये वार्ना आगे की राह कठिन हो जाएगी।
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