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November 10, 2017
राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को डाक्टर्स की हड़ताल के मामले में दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने इस नोटिस का 15 नवंबर तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार डाक्टरों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस भेज कर काम पर लौटने के लिए कहे। इस पर भी वे काम पर नहीं लौटते हैं तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। इस मामले की सुनवाई अब 15 नवंबर को होगी। जानिए और इस मामले में ...
जस्टिस केएस झवेरी की खंडपीठ में महेश शर्मा व डॉ अभिनव शर्मा की दो पीआईएल पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल एसएमएस रोज 800 मरीजों को संभालता है पर क्या उनके पास हड़ताल के अलावा कोई चारा नहीं। डाक्टर्स पर वर्कलोड है। इस पर याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखा कि वर्कलोड तो सेना और पुलिस पर भी है। पुलिसकर्मी भी वर्कलोड का हवाला देते हुए हड़ताल पर चले जाएंगे। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 15 नवंबर तक जवाब मांगा है। अब इस मामले की 15 नवंबर को सुनवाई होगी।
- डा अभिनव ने अपनी याचिका में कहा कि हाईकोर्ट इससे पहले 2011 में डाक्टरों की हड़ताल को असंवैधानिक घोषित कर चुका है। तब डाक्टर डॉ अजय चौधरी के नेतृत्व में हुई हड़ताल को असंवैधानिक घोषित किया गया था। तब हाईकोर्ट ने व्यस्था दी थी कि डाक्टर हड़ताल नहीं कर सकते।
यह आदेश दिया कोर्ट ने
- हाईकोर्ट ने सरकार को सभी डाक्टर्स को व्यक्तिगतरूप से नोटिस जारी कर काम पर लौटने के लिए कहें। इसके बाद भी वे काम पर नहीं लौटते हैं तो इसे कोर्ट की अवमानना मानी जाए।
- सरकार कमेटी बनाकर वाजिब मांग माने, लेकिन तब तक उन्हें काम पर लौटना होगा।
- कोर्ट ने महाधिवक्ता एनएम लोढ़ा को 15 नवंबर तक डाक्टरों की सूची पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने पूछा है कि डाक्टरों को कितना वेतन-भत्ता दिया जा रहा है।
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