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November 9, 2017
जलदाय विभाग में एक बार फिर मैसर्स एसपीएमएल कंपनी पर मेहरबानी शुरू हो गई है. पेयजल प्रोजेक्ट कार्यों में धीमी गति के चलते विभाग ने पहले एसपीएमएल कंपनी के 5 प्रोजेक्ट रिसाइंड करने के लिए राज्य सरकार को फाइल भेजी थी लेकिन दो महीने से हालत जस की तस है.
जानकारी के मुताबिक लंबे समय से कंपनी के प्रोजेक्ट्स रिसाइंड नहीं होने से जलदाय विभाग में एक बार फिर कंपनी पर मेहरबानियों की चर्चा शुरू हो गई है. प्रदेश में कंपनी के करीब 1600 करोड़ की लागत के पांच वाटर प्रोजेक्ट्स लंबे समय से अधूरे पड़े हैं.
जलदाय विभाग की ओर से परियोजना के कार्यों में देरी को लेकर ठेका कंपनियों को बार-बार नोटिस जारी कर कार्यों की प्रगति बढ़ाने के निर्देश दिए जा चुके हैं. इतना सब करने के बावजूद कंपनी की ओर से लंबे समय से कार्य की प्रगति नहीं बढ़ाई जा रही है.
विभाग की ओर से मैसर्स एसपीएमएल कंपनी के 348.47 करोड़ लागत के नर्मदा ईआर प्रोजेक्ट, 297.40 करोड़ लागत के चंबल-सवाईमाधोपुर-नादौती प्रोजेक्ट पैकेज-1 पैकेज और 217.28 करोड़ लागत के करीब 243 करोड़ लागत के चंबल-सवाईमाधोपुर-नादौती प्रोजेक्ट पैकेज-2 से संबंधित फाइल भेजी गई थी.
इनमें से एक प्रोजेक्ट चंबल-सवाईमाधोपुर-नादौती प्रोजेक्ट का कार्य तो 2005 में शुरू हुआ था और प्रोजेक्ट का कार्य 2008 में पूरा होना था. एसपीएमएल कंपनी की लापरवाही और जलदाय विभाग अधिकारियों की लेट लतीफी के कारण 2017 तक भी प्रोजेक्ट का काम अधूरा ही पड़ा है.
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