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November 6, 2017
प्रदेश भर में सेवारत चिकित्सकों के सामूहिक इस्तीफे और अवकाश पर जाने के खिलाफ राजस्थान सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए रेस्मा (राजस्थान आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम) लागू कर दिया है. चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा है कि प्रदेश में मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए प्रदेश भर में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.
कालीचरण सराफ ने बताय कि मरीजों के इलाज के लिए रेलवे और आर्मी हॉस्पिटल के अधीक्षकों से बात कर इंतजाम किए गए हैं. साध ही सभी मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी और रेजीडेंट डॉक्टर्स को मरीजों के इलाज में जुटने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने बताया कि साथ ही यह निर्देश भी जारी किए गए प्रदेश में सभी चिकित्सकों के अवकाश भी निरस्त कर दिए गए हैं और रेस्मा को प्रभावी रूप से लागू करते हुए गृह विभाग से हड़ताली चिकित्सकों को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया है. संभागीय आयुक्तों और जिला कलक्टर्स से भी पीएचएस ने वीसी कर हालात पर नजर बनाए रखने और मरीजों को परेशानी नहीं होने देने के निर्देश दिए हैं.
नहीं बनी सरकार और डॉक्टरों के बीच बात
प्रदेश भर के सेवारत चिकित्सक छह साल से लंबित मांगों को मनवाने के लिए तीन माह से गांधीवादी तरीकों से आंदोलन कर रहे थे. मांगे पूरी नहीं होने पर सभी चिकित्सक सोमवार सुबह से हड़ताल पर चले गए और प्रदेश के करीब 10 हजार सेवारत चिकित्सकों ने अपने इस्तीफे सरकार को सौंपे हैं.
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के हस्तक्षेप के बाद चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ के निवास पर मुख्य स्वास्थ्य सचिव वीनू गुप्ता की मौजूदगी में रविवार को समझौता वार्ता हुई तो चिकित्सक खुद ही अपनी बातों से मुकरते हुए वहां एक-एक कर फरार हो गए. वार्ता के दौरान चिकित्सकों ने छह बिन्दुओं पर प्रमुख रूप से अपनी सहमति दे दी थी और उनके कहने पर ही मंत्री के निवास पर रात साढे ग्यारह बजे बाद एक टाइपिस्ट को घर से बुलाकर समझौता पत्र तैयार कराया गया.
वीनू गुप्ता भी चिकित्सकों के आग्रह पर रात बारह बजे मंत्री के निवास पर पहुंची और जब समझौता पत्र पर हस्ताक्षर के लिए अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के पदाधिकारियों को कहा गया तो वे चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ.अजय चौधरी और महासचिव डॉ. दुर्गाशंकर सैनी के उपस्थित नहीं होने का तर्क देते हुए एक-एक कर खिसक लिए.
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