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October 7, 2017
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण अधिनियम-2008 की वैधता, एसबीसी (विशेष पिछड़ा वर्ग) को पांच प्रतिशत आरक्षण देने सहित ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट और मीणा जाति को जनजाति से बाहर करने व एससी/एसटी को क्रीमिलेयर में लाने की गुहार करने के मामले में केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार के जनजाति मंत्रालय सचिव, राष्ट्रीय जनजाति आयोग, राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय व अधिकारिता सचिव व डीओपी सचिव सहित ओबीसी आयोग को नोटिस जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश शुक्रवार को कैप्टेन गुरविन्दर सिंह व अन्य की एसएलपी पर दिया। एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट के मई 2017 के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें प्रार्थियों की 4 फरवरी, 2016 के आदेश को वापस लेने संबंधी अर्जी को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने 4 फरवरी के आदेश से प्रार्थियों की याचिकाओं को सारहीन मानते हुए यह कहकर खारिज कर दिया था कि अधिनियम-2008 नए अधिनियम 2015 से रिपील हो गया है। सरकार नया कानून ले आई है, ऐसे में याचिकाएं सारहीन हो गई हैं और चलने योग्य नहीं हैं।
प्रार्थियों ने एसएलपी में कहा कि याचिकाओं में विकास अध्ययन संस्था की रिपोर्ट को रद्द करने और अोबीसी आयोग की जस्टिस इसरानी की रिपोर्ट को रद्द करने सहित अन्य मुद्दों को भी चुनौती दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका में उठाए गए अन्य मुद्दों को तय किए बिना ही उन्हें सारहीन मानकर खारिज कर दिया जो गलत है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट में मुकेश सोलंकी ने 2008 के अधिनियम को चुनौती दी थी जबकि कैप्टन गुरविन्दर सिंह ने एक्ट की वैधता के अलावा मीणा जाति को आरक्षण से बाहर करने की गुहार की थी।
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