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October 3, 2017
रोजी-रोटी की तलाश में ओमान गए राजस्थानियों के पास न तो मकान है, न समय पर खाना मिल रहा है और न वेतन मिल रहा है. यह एक तरह से जेल की सी जिन्दगी काट रहे हैं. अब ये अपने घर आने को तरस रहे हैं, इन्होंने सभी जगहों पर गुहार लगाली है, लेकिन इन्हें कोई सहारा नजर नहीं आ रहा है. अब भारत में बैठे परिजनों को भी चिंता होने लगी है.
करीब 40 से 45 लोग फंसे हुए हैं. इनमें से अधिकतर लोग शेखावाटी से तालुक रखते हैं. ये रोजी रोटी के लिए खाड़ी के देश ओमान गए थे. वहां पर इन्हें एक तरह से बंधी बना लिया गया हैं. इनके पासपोर्ट ले लिए गए हैं. भारत आने के लिए एक लाख रुपए भारतीय मुद्रा मांग की जा रही हैं.
झुंझुनूं, सीकर, चूरू और नागौर के करीब चार दर्जन से अधिक लोग ओमान में फंसे हुए हैं. ये श्रमिक लौटने की गुहार लगा रहे हैं. विदेश में फंसे श्रमिकों ने बताया कि अपने बच्चों के पालन पोषण की तमनाएं लेकर विदेश गए थे. शुरू के कुछ माह तो वेतन मिल रहा था, लेकिन पिछले तीन माह से कम्पनी की ओर से वेतन दिया गया. उनके पास कुछ रकम थी, वह भी समाप्त हो गई है.
वे ओमान में मौजूद अन्य भारतीय लोगों से मदद लेकर खाना आदि की व्यवस्था की जा रही है. भारतीय लोगों की ओर से जो चलाई जा रही सोसायटी की ओर से खाने की व्यवस्था की जा रही है. जब अपना दर्द लेकर भारतीय दूतावास पहुंचे तो भी उन्हें कुछ सहायता नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि चिन्ता में रिश्तेदार और परिजनों का बुरा हाल हो रहा है. श्रमिकों ने बताया कि वेतन वापसी के लिए सभी श्रमिकों से एक लाख एक लाख मांगे जा रहे हैं, इनका इंतजाम होना मुश्किल है.
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