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October 2, 2017
राज्य सरकार की ओर से दिसम्बर 2018 तक प्रदेश के 75 लाख लोगों को सतही पेयजल योजनाओं से पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है. लेकिन जलदाय विभाग के अधिकारी और मेजर वाटर प्रोजेक्ट्स का काम कर रही ठेका कंपनियां सरकार की इस योजना पर पूरी तरह से पानी फेरने में लगे हुए हैं. प्रोजेक्ट्स का काम कर रही ठेका कंपनियों की लापरवाही और इंजीनियर्स की मिलीभगत के चलते प्रदेश के 53 मेजर वाटर प्रोजेक्ट्स का काम 2 से 3 साल की देरी से चल रहा है. प्रोजेक्ट्स में हो रही देरी से अब उनके पूरे होने पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.
जानकारी के अनुसार कई वाटर प्रोजेक्ट्स तो 5 से 7 साल बाद भी पूरे नहीं हो पाए हैं. जबकि इन प्रोजेक्ट्स का कार्य 2 से 3 साल में पूरा होना था. दरअसल तेजी से गिरते भूजल स्तर के चलते राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में साढ़े बत्तीस हजार करोड़ की लागत के 107 मेजर वाटर प्रोजेक्ट्स स्वीकृत किए गए थे. इनमें से 90 मेजर वाटर प्रोजेक्ट्स का कार्य दिसम्बर, 2016 तक पूरा होना था. लेकिन ठेका कंपनियों की लापरवाही और मिलीभगत के खेल के चलते मात्र 37 मेजर वाटर प्रोजेक्ट्स का ही कार्य पूरा हो पाया है.
मैसर्स एसपीएमएल, मैसर्स प्रतिभा इंडस्ट्रीज, मैसर्स रामकी इन्फ्रा, मैसर्स एल एण्ड टी, मैसर्स विष्णु पुंगलिया, मैसर्स दारा कंस्ट्रक्शन, मैसर्स एनसीसी, मैसर्स जीवीपीआरईएल जैसी कंपनियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के मामलों के चलते 53 मेजर वाटर प्रोजेक्ट्स का कार्य 2 से 3 साल की देरी से चल रहा है. सरकार की मंशा है कि चुनावों से पहले सभी 53 प्रोजेक्ट्स का कार्य पूरा कर लिया जाए, ताकि जनता को बीच उपलब्धियां गिनाई जा सकें. ऐसे में जलदाय मंत्री सुरेन्द्र गोयल और अधिकारी प्रोजेक्ट्स का कार्य समय पर पूरा कराने में जुटे हुए हैं.
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