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September 30, 2017
बिजली उत्पादन में बेहतर स्थिति में रहने वाले प्रदेश की हालात इन दिनों खस्ता हाल है. मानसून के बाद कोयला खदानों से कोयले की आपूर्ति सुचारू रूप से न होने के कारण हाइडल पॉवर में कमी का असर बिजली की आपूर्ति पर दिखने लगा है.
प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री पुष्पेंद्र सिंह का दावा है कि बिजली संकट जोकि कोयले की कमी से पैदा हुआ है उसे जल्द दूर किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. बिजली आपूर्ति में आई कमी के कारण राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में कटौती बढ़ गई है. वहीं शहरी क्षेत्रों में भी अघोषित कटौती से मांग और आपूर्ति में समन्वय बनाने की कोशिश की जा रही है. हालात यह है कि स्टेट सेक्टर की 12 में से 6 यूनिट कोयले की कमी से पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं.
बिजली की कमी का न सिर्फ शहरी लोग परेशान हो रहे हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान भी काफी परेशान हैं. पिछले साल सितंबर में औसतन 19 करोड़ यूनिट प्रतिदिन की जरुरत थी वहीं इस साल सितंबर माह में 20 करोड़ यूनिट प्रतिदिन की मांग बनी हुई है. राज्य में कोयला कम है और बिजली की मांग अधिक. ऐसे में किसानों का फसल बुआई का दौर रफ्तार पकड़ने को है, ऐसे में अगर बिजली उत्पादन में गिरावट लंबे समय तक रही, तो विभाग के साथ राज्य सरकार के सामने भी मुसीबत खड़ी होगी. सितंबर माह में दो बार उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा चुकी है. अगर अक्टूबर में यहीं हालात रहे तो त्यौहारी सीजन में बिजली कटौती की मार तय है.
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