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September 12, 2017
राजस्थान : आने वाले दिनों में वेतन-पेंशन देने, सेवानिवृत कर्मचारियों के बकाया परिलाभ और लोक परिवहन व अवैध बसों के विरोध सहित अपनी कई मांगों को लेकर राजस्थान रोडवेज के कर्मचारी हड़ताल पर जाने वाले है. इस पखवाड़े यह हड़ताल 4 दिन की रहेगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जब कर्मचारियों के मुद्दे एक है तो हड़ताल दो क्यों. बीएमएस से संबद्ध राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन और रोडवेज का संयुक्त मोर्चा अलग-अलग दिन हड़ताल कर रहा है, लेकिन दोनों गुट एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं. संयुक्त मोर्चे में शामिल राजस्थान स्टेट रोडवेज एम्पलाइज यूनियन (एटक) के प्रदेशाध्यक्ष एमएल यादव का कहना है कि मोर्चा चाहता था कि फेडरेशन संयुक्त मोर्चे में शामिल हो. हमनें उनसे सम्पर्क भी किया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. वहीं परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन के अध्यक्ष नाहर सिंह राजावत ने बताया कि मोर्चे ने पूरा कार्यक्रम तय करके हमें सूचना दी. ऐसे में भारतीय मजदूर संघ इतना कमजोर संगठन नहीं है कि वह किसी और संगठन के कार्यक्रम पर अपना आंदोलन चलाएं. आपको बता दें कि फेडरेशन की 13-14 सितम्बर को हड़ताल होने वाली है. वहीं संयुक्त मोर्चे की 19 और 20 सितम्बर की हड़ताल का ऐलान किया गया है. साथ ही इस हड़ताल से रोडवेज को 20 करोड़ रुपए का नुकसान होना बताया जा रहा है. दोनों गुटों की हड़ताल की घोषणा के बाद परिवहन मंत्री यूनुस खान फेडरेशन से एक दौर की वार्ता कर चुके हैं, लेकिन उसमें कोई हल नहीं निकला. ऐसे में उन्होंने फिर से अपील की है कि यूनियन पदाधिकारी हड़ताल पर जाने का फैसला वापस लें. सरकार की ओर से वार्ता के सभी दरवाजे खुले हैं. तमाम बातों के बाद भी दोनों गुट अभी भी एक-दूसरे के साथ आने की मना भी नहीं कर रहे हैं. ऐसे में अगर यह साथ आते हैं तो सरकार पर इनकी बातों का ज्यादा असर होगा. वहीं रोडवेज को भी कम आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.
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