Post Views 781
July 25, 2017
नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश भूटान के पठार में स्थित डोकलाम, डोकलम, डोका ला या फिर कहें डोंगलांग को लेकर भारत और चीन के बीच पिछले महीने 16 तारीख से लगातार तनाव चला आ रहा है. इस तनाव का असर यह है कि भारत और चीन की ओर से इस इलाके में सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है. साथ ही मौके से कुछ दूरी पर चीन ने हथियार और गोलाबारूद तक तैनात कर दिया है. भारत ने भी अपनी ओर से तैयारी करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है. बताया जा रहा है कि 16 तारीख के बाद से भारत के झुकने के किसी प्रकार के संकेत नहीं मिलने के बाद चीन ने हजारों टन सैन्य सामग्री से लैस सैनिक दस्ते को सिक्किम बार्डर के लिए रवाना किया है. भारत ने डोकलाम पर अपना रुख स्पष्ट किया है कि वह यहां से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. इसलिए भारतीय जवानों ने इलाके में अपने तंबू भी गाड़ दिए हैं.
कहा जा रहा है कि डोकलाम मुद्दे पर भारत के सख्त रुख को देखते हुए चीन ने यह कदम उठाया है जो उसकी पड़ोसी देशों पर दबाव बनाने की रणनीति का ही एक हिस्सा रहा है. लेकिन इस बार चीन के मंसूबे सफल होते नहीं दिख रहे हैं. यही कारण है कि चीन ने डोकलाम विवाद को नाक का प्रश्न बना लिया है. चीन ने यह साफ कहा है कि इस पूरे मामले पर वह भारत से बातचीत तब तक नहीं करेगा जब तक भारत अपने सैनिक नहीं हटाएगा. चीन ने यह भी कहा है कि यह विवाद भूटान और चीन के बीच का है और भारत को इसमें कूदने की जरूरत नहीं है. चीन कह रहा है कि भारत मामले में अनावश्यक दखलंदाजी कर रहा है.
चीन ने उठाई अजित डोभाल पर उंगली : तनातनी के माहौल में बीजिंग में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक होनी है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल को इस सम्मेलन में जाना है. जानकार मानते हैं कि डोभाल के इस दौरे से भारत-चीन में सीमा विवाद पर कोई रास्ता निकल सकता है. 27-28 जुलाई को चीन जाएंगे डोभाल: चीनी विश्लेषक के मुताबिक, ब्रिक्स राष्ट्रों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के सिलसिले में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की बीजिंग यात्रा भारत और चीन के बीच डोकलाम में जारी सैन्य गतिरोध को कम करने में महत्वपूर्ण हो सकता है. डोभाल को इस बैठक के लिये 27-28 जुलाई को चीन आना है. बैठक की मेजबानी उनके चीनी समकक्ष एवं स्टेट काउंसलर यांग जीइची करेंगे. यह बैठक ब्रिक्स देशों - ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका- के सितंबर में शियामेन शहर में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन से पहले अधिकारियों की बैठकों की सीरीज का एक हिस्सा है.
चीन के सरकारी मीडिया ने एक लेख में यह स्पष्ट लगा है कि इस पूरे विवाद के पीछे अजित डोभाल का दिमाग है. इस प्रकार के चीनी मीडिया के लेख यह साफ दर्शा रहे हैं कि डोभाल की यात्रा से कुछ खास निकलने वाला नहीं है.
क्या है डोकलाम विवाद?
समझें डोकलाम विवाद और समस्या : भूटान में डोकलाम को डोलम कहते हैं. करीब 300 वर्ग किलोमीटर का ये इलाका चीन की चुंबी वैली से सटा हुआ है. यह इलाका भारत के सिक्किम के नाथुला दर्रे के करीब है. इस जगह से नाथूला दर्रा केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है. इसलिए इस इलाके को ट्राई जंक्शन के नाम भी जाना जाता है. ये डैगर यानी एक खंजर की तरह का भौगोलिक इलाका है, जो भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर की तरफ जाता है. चीन की चुंबी वैली का याटूंग यहां आखिरी शहर है. चीन इसी याटूंग शहर से लेकर विवादित डोकलाम इलाके तक सड़क बनाना चाहता है.
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved