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July 6, 2017
अजमेर। जीएसटी की वजह से देशी घी भी महंगा हो जाएगा। जीएसटी के प्रावधानों में देशी घी पर १२ प्रतिशत टैक्स लगाया गया है, जबकि ३. जून तक देशी घी पर मात्र ५.५ प्रतिशत वैट ही लगता था। देशी घी पर टैक्स बढोत्तरी से आम उपभोक्ता तो परेशान होगा ही साथ पशुपालकों को भी अनेक कङ्गिनाइयों का सामना करना पडेगा।
उपभोक्ताओं खास कर ग्रामीणों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए गुरुवार को अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में बताया गया है कि देशी घी पर ५.५ प्रतिशत की बजाए १२ प्रतिशत टैक्स कर दिए जाने से डेयरी के देशी घी पर प्रतिकिलो २६.५० रुपए की वृद्घि हो जाएगी। इससे डेयरी के देशी घी के व्यापार में जर्बदस्त गिरावट आएगी और जिसका फायदा मिलावट करने वाले कारोबारी उठाएंगे। इसका असर पशुपालकों से खरीदे जाने वाले दूध के ऋय मूल्य पर भी पडेगा। जबकि आपकी भावना है कि २०२२ तक किसानों और पशुपालकों की आय को दो गुना किया जाए।
चौधरी ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को बताया कि देशी घी का उपयोग देश में ७०प्रतिशत गरीब तबके के लोग करते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग खेती का काम करते हैं, जो अपने शरीर को मजबूत बनाए रखने के लिए देशी घी से चुपडी रोटी खाते हैं। ऐसे ग्रामीणों को शहरों की तरह ड्राई प्रुट्स खाने को नहीं मिलते हैं। देश में गरीब तबके की महिलाएं भी प्रसव के समय चार-पांच किलो देशी घी का ही सेवन करती हैं। धनाढ्य एवं उच्च वर्ग के परिवारों की महिलाएं तो देशी घी की बजाए दवाइयों का उपयोग कर लेती हैं।
देश के ६०-७० प्रतिशत परिवारों में प्रतिदिन पूजा पाठ होता है। हवन एवं पूजा में भी शुद्घ घी का ही उपयोग होता है। कुपोषण से बचाने के लिए भी गरीब परिवार देशी घी का उपयोग करते हैं। विवाह समारोह में भी देशी घी का ही उपयोग किया जाता है। चौधरी ने प्रधानमंत्री को बताया कि आम उपभोक्ता देशी नस्ल की गाय और भैस के दूध से तैयार होने वाले शुद्घ घी का ही उपयोग करता है। चौधरी ने पत्र में आग्रह किया है कि देशी घी पर टैक्स बढोत्तरी को वापस लिया जाए। इससे देश में पशुधन संरक्षण में भी मदद मिलेगी साथ ही दूध की जीडीपी में ६ प्रतिशत की गति बनी रहेगी।
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