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June 12, 2017
रिपोर्ट-गंगा नदी को नुकसान पहुंचाना अब लोगों पर भारी पड़ सकता है। केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी ने राष्ट्रीय नदी गंगा विधेयक 2017 का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत सुझाव दिया गया है कि यदि गंगा की धारा को रोकने, तटों पर अवैध खनन आदि किया जाता है तो सात साल की सजा और 100 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जाए।
हमारे सहयोगी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, मसौदा तैयार करने वाली कमेटी का नेतृत्व रिटायर्ड जज गिरिधर मालवीय ने किया था। उन्होंने मसौदे के जरिए सुझाव दिया है कि गंगा के एक किलोमीटर के दायरे को जल बचत क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। कमेटी ने यह सुझाव भी दिया है कि बिल पारित किए जाने के बाद छह महीने तक ऐसे क्षेत्रों के लिए वैज्ञानिक अध्ययन किया जाए।जल संसाधन मंत्रालय को सौंपे गए मसौदे को बिल का रूप देने के लिए सरकार ने इसे अन्य जानकारों की एक टीम को सौंप दिया है। उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड से भी इस बिल को लेकर बातचीत की जाएगी।
मंत्रालयों की सूत्रों के अनुसार, चूंकि यह मामला गंगा से जुड़ा हुआ है इसलिए केंद्र सरकार बिल पारित करने से पहले राज्य सरकारों से भी बातचीत करना चाहती है। कुछ महीने पहले उत्तराखंड हाइकोर्ट ने गंगा को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। हाइकोर्ट ने गंगा नदी को जीवित मनुष्य के समान अधिकार दिए जाने का आदेश दिया था।
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