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December 22, 2025
झीलों की नगरी उदयपुर में शिल्पग्राम महोत्सव का भव्य शुभारंभ पारंपरिक रंगों और लोकधुनों के बीच हुआ। शिल्पग्राम परिसर में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े और पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया की गरिमामयी उपस्थिति में नगाड़ा वादन के साथ महोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया गया। लोक संगीत की गूंज और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को उत्सवमय बना दिया। इस अवसर पर राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने लोक कला को जीवन का वास्तविक आलोक बताते हुए कहा, “लोक है, तो आलोक है। लोक कला में बनावट नहीं, बल्कि नैसर्गिकता होती है।” उन्होंने बच्चों को कला और संस्कृति से जोड़ने पर जोर देते हुए कहा कि यदि बचपन से ही उन्हें मंच और प्रोत्साहन मिले, तो वे लोक संस्कृति के सशक्त संवाहक बन सकते हैं। उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के शिल्पकार राम वी. सुतार का उदाहरण देते हुए प्रेरणादायी संदेश दिया।
समारोह में पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने शिल्पग्राम महोत्सव को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की सजीव मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन देश की विविध परंपराओं को एक सूत्र में पिरोते हैं और हर आयु वर्ग के लोगों को कुछ न कुछ नया सीखने और देखने को मिलता है। शिल्पग्राम महोत्सव में इस वर्ष देश के विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकार, शिल्पकार और हस्तशिल्प विशेषज्ञ अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। उद्घाटन समारोह में लोक नृत्य, वाद्य संगीत और पारंपरिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने जयपुर के प्रसिद्ध अलगोजा वादक रामनाथ चौधरी और राजकोट के डॉ. निरंजन वल्लभभाई राज्यगुरु को डॉ. कोमल कोठारी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। महोत्सव में करीब 150 से अधिक शिल्प और हस्तशिल्प की दुकानें सजी हैं, जहां राजस्थानी कढ़ाई, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी, धातु शिल्प, आभूषण और पारंपरिक वस्त्र उपलब्ध हैं। साथ ही देश के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों के फूड स्टॉल भी लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। महोत्सव के दौरान प्रतिदिन शाम को राजस्थान, पंजाब, गुजरात, मध्यप्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के लोक नृत्य और संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। कालबेलिया, घूमर, भवई, कथकली और सूफी संगीत जैसी प्रस्तुतियां भारतीय लोक संस्कृति की समृद्ध झलक पेश करेंगी।
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