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December 21, 2025
अजमेर ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह के 814 वें उर्स के मौके पर शनिवार रात खुद्दाम ए ख्वाजा ने मजार शरीफ पर साल भर चढ़ाया गया संदल उतारा ओर इसे बतौर तबर्रुक जायरीन में तकसीम किया गया।
रजब का चांद नजर आने पर रात से उर्स की औपचारिक शुरुआत होगी। अन्यथा कल पहली महफिल होगी। जमादिउस्सानी माह की 28 तारीख को देखते हुए परंपरा के अनुसार मजार शरीफ की रात की खिदमत के वक्त संदल उतारा गया। खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सखी और अंजुमन के उर्स कन्वीनर सैयद हसन हाशमी सहित अन्य खुद्दाम इसे जायरीन में तकसीम करते नजर आए। हाशमी ने बताया कि रविवार को चांद की 29 तारीख है। तड़के 4:30 बजे जन्नती दरवाजा जियारत के लिए खोल दिया गया। मगरिब की नमाज के बाद हिलाल कमेटी की बैठक होगी। शहर काजी मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी की सदारत में होने वाली इस बैठक में चांद दिखाई देने या नहीं देने का फैसला होगा। इधर, उर्स की महफिल दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान की सदारत में महफिल खाना में होगी। रजब का चांद होने पर रविवार रात को पहली महफिल होगी। मध्य रात्रि को मजार शरीफ को पहला गुस्ल दिया जाएगा। चांद नहीं होने पर अगले दिन से यह आयोजन होंगे।
खादिम सैयद मेहराज चिश्ती ने बताया कि
रविवार तड़के जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। सालभर में जन्नती दरवाजा चार बार खोला जाता है, लेकिन उर्स में सबसे ज्यादा 6 दिन के लिए खुलता है। इसके बाद एक दिन ईद-उल-फितर के मौके पर एक दिन बकरा ईद के मौके पर और एक दिन ख्वाजा साहब के गुरु हजरत उस्मान हारूनी के सालाना उर्स के मौके पर यह दरवाजा खुलता है। परंपरा के अनुसार जन्नती दरवाजा उर्स में आने वाले जायरीन के लिए खोला जाता है। परंपरा के अनुसार यह दरवाजा कुल की रस्म के बाद 6 रजब को बंद कर दिया जाता है। जन्नती दरवाजे पर सालभर जायरीन मन्नत का धागा बांधते हैं। जन्नती दरवाजा खुलने के बाद से ही जायरीन की आवक बढ़ जाती है। दरगाह जियारत को आए जायरीन सिर पर मखमल की चादर और फूलों की टोकरी लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। उन्होंने कहा कि ख्वाजा का दरबार गरीबों का मदीना है जो लोग मदीना नहीं जा सकते वह इस छोटे मदीना में आकर अपनी अकीदत बयां कर सकते हैं और मन्नतें मुरादे मांग सकते हैं उनकी सभी मुरादे पूरी होती है।
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