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December 20, 2025
सुप्रीम कोर्ट की ओर से अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को मंजूरी दिए जाने के बाद मेवाड़ में नाराजगी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उदयपुर कलक्ट्रेट पर धरना-प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नए मानक के तहत केवल आसपास की जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची भू-आकृति को ही अरावली माना जाएगा। इससे अरावली की 90 प्रतिशत से अधिक पहाड़ियां संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी और खनन, रियल एस्टेट और निर्माण गतिविधियों को खुली छूट मिल जाएगी।
धरने में नेताओं ने चेताया कि अरावली रेगिस्तान की रेत को रोकने वाली प्राकृतिक दीवार है। इसके कमजोर होने से धूल, प्रदूषण और सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि होगी। इसका सीधा असर पर्यावरण और मानव जीवन पर पड़ेगा। इस मौके पर शहर जिलाध्यक्ष फतेह सिंह राठौड़, प्रदेश सचिव दिनेश श्रीमाली, अजय सिंह, धर्मेंद्र राजोरा, गौरव प्रताप सिंह और पर्यावरण प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष प्रतीक नागर सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे। पूर्व टीएसी सदस्य लक्ष्मी नारायण पंड्या ने भी गहरी चिंता जताई। उनका कहना है कि अरावली कोई पत्थरों की ढेरी नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की जीवन रेखा है। यदि इसे नुकसान पहुंचाने की अनुमति दी गई, तो इसका सीधा असर पर्यावरण, प्राकृतिक आपदाओं और मानव जीवन पर पड़ेगा। अरावली पर्वतमाला दक्षिण राजस्थान के 15 जिलों में जलवायु संतुलन और प्राकृतिक सुरक्षा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती रही है।
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