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December 18, 2025
पुष्कर में सैंड आर्ट के जरिए अरावली संरक्षण का संदेश
तीर्थ नगरी पुष्कर के रेतीले धोरों में अंतर्राष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट अजय रावत ने सैंड आर्ट कलाकृति के माध्यम से अरावली पर्वतमाला के संरक्षण का संदेश दिया। लगभग 100 टन से अधिक बालू के महीन कणों से तैयार की गई इस विशाल कलाकृति में अरावली को जीवनरेखा के रूप में दर्शाया गया है। कलाकार ने इस माध्यम से केंद्र सरकार से अरावली की नई परिभाषा पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
अजय रावत ने बताया कि अरावली पर्वतमाला राजस्थान के पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके अनुसार यदि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को संरक्षण के दायरे से बाहर किया गया और वहां खनन या निर्माण गतिविधियों की अनुमति दी गई, तो इससे भूजल स्तर, वायु गुणवत्ता और जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि यह सैंड आर्ट पर्यावरण संरक्षण को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है।गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में अरावली पहाड़ियों के लिए नई वैज्ञानिक परिभाषा प्रस्तुत की है, जिसके तहत केवल वे पहाड़ियां अरावली मानी जाएंगी जिनकी ऊंचाई आसपास की जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक हो। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मानदंड के लागू होने से अरावली क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा संरक्षण से बाहर हो सकता है। ज्ञात रहे कि यह विषय वर्ष 2018 के उस सुप्रीम कोर्ट प्रकरण से भी जुड़ा है, जब अदालत ने अरावली क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। उस समय न्यायालय ने राज्य में खनन गतिविधियों पर सरकारी निगरानी और प्रवर्तन को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। पुष्कर में तैयार की गई अजय रावत की सैंड आर्ट कलाकृति इसी पृष्ठभूमि में अरावली संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है और आमजन को इस मुद्दे के प्रति जागरूक करने का प्रयास करती है।
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