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December 14, 2025
तीर्थराज पुष्कर की पावन धरती पर राजस्थानी अरोड़ा खत्री सर्वोच्च समिति की ओर से आयोजित 13वाँ सामूहिक विवाह महोत्सव सामाजिक एकता, परंपरा और भव्यता का अनुपम संगम बनकर सम्पन्न हुआ। ओएसिस रिसोर्ट में आयोजित इस भव्य समारोह में समाज के 21 जोड़े वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह सूत्र में बंधे। सुबह से देर रात तक चले इस आयोजन में हर पल उल्लास, उत्साह और सांस्कृतिक रंगत देखने को मिली।
महोत्सव की शुरुआत सुबह भव्य कलश यात्रा से हुई। समिति के अध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र कुमार अरोड़ा और मंत्री डॉ. अनिल बत्रा ने बताया कि ढोल-बैंड और शहनाई की मधुर धुनों के बीच समाज की महिलाएं पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा में सिर पर कलश धारण कर मंगल गीत गाते हुए चलीं। जयघोष और लोकधुनों से पूरा क्षेत्र उत्सवमय हो उठा और आयोजन को धार्मिक गरिमा के साथ भव्य आरंभ मिला।
कलश यात्रा के उपरांत रिसोर्ट परिसर में हल्दी और मेहंदी की रस्में सम्पन्न हुईं। हल्दी की पीली आभा और फूलों की सुगंध से पूरा वातावरण रंगीन हो गया। इस दौरान मथुरा-वृंदावन से पधारी राधा-कृष्ण मंडली द्वारा फूलों की होली खेली गई, जिसने आयोजन में विशेष आकर्षण जोड़ा। दूल्हा-दुल्हन ने पुष्पवर्षा के बीच एक-दूसरे को हल्दी लगाई, वहीं महिलाएं और परिजन मंगल गीतों पर झूमते नजर आए।
कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण रहीं सुप्रसिद्ध लोक गायिका सोनू बंसल, जिन्होंने राजस्थानी लोकगीतों के साथ विवाह के पारंपरिक मंगल गीत, हल्दी बन्ना-बन्नी, मेहंदी, मायरा और बत्तीसी की सजीव प्रस्तुतियां दीं। लोकसंगीत की मधुर धुनों पर समाजबंधु देर तक तालियों के साथ झूमते रहे और पूरा परिसर लोकसंस्कृति में रंग गया।
समारोह के दौरान निकाली गई भव्य शोभायात्रा ने सभी का मन मोह लिया। शोभायात्रा में 20 घोड़े, 4 ऊंट, 10 बग्गियां और चांदी की पालकी में विराजमान शालिग्राम जी विशेष आकर्षण रहे। राजस्थानी संस्कृति और परंपरा की जीवंत झलक ने हर आगंतुक को प्रभावित किया। इससे पूर्व रात्रि में आयोजित सांस्कृतिक संगीत कार्यक्रम में समाज की महिलाओं और दूल्हा-दुल्हनों ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य प्रस्तुत कर वातावरण को आनंदमय बना दिया। भावी दुल्हनों को मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया गया।
समिति के कोषाध्यक्ष विजयराज आडवाणी ने बताया कि इस सामूहिक विवाह महोत्सव में राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और बैंगलोर सहित विभिन्न राज्यों से लगभग 4 से 5 हजार समाजबंधु शामिल हुए। भोजन व्यवस्था भी अत्यंत भव्य रही, जिसमें 1200 किलो मूंगदाल का हलवा, 1100 किलो अखरोट-बादाम का हलवा सहित अनेक पारंपरिक व्यंजन परोसे गए।
सामूहिक विवाह समिति के संयोजक भरतलाल छाबड़ा ने आयोजन की सफलता पर सह संयोजक किशनगोपाल मोरवानी, चंद्रप्रकाश छाबड़ा, सत्यनारायण सुगंधा, सुरेश दिलवाली, कैलाश सराया सहित सभी कार्यकर्ताओं, भामाशाहों और समाजबंधुओं का आभार व्यक्त किया। यह आयोजन सामाजिक समरसता, सहयोग और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का सशक्त उदाहरण बनकर सामने आया।
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