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अजमेर न्यूज़: जे.एल.एन. अस्पताल, अजमेर – सेवा, समर्पण और संवेदना की पहचान।

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October 14, 2025

अस्पताल के पीएमआर विभाग, ने काटने से बचाया मरीज का पैर — डॉ. प्रीति सोनी की देखरेख में मिला नया जीवन

जे.एल.एन. अस्पताल, अजमेर – सेवा, समर्पण और संवेदना की पहचान।
अस्पताल के पीएमआर विभाग, ने काटने से बचाया मरीज का पैर — डॉ. प्रीति सोनी की देखरेख में मिला नया जीवन

अजमेर। जे.एल.एन. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास (पीएमआर) विभाग ने एक अत्यंत जटिल और गंभीर मामले में उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर एक महिला मरीज का पैर काटने से बचा लिया। यह सफलता चिकित्सा जगत में विभाग की बढ़ती साख और टीम भावना का प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है।

अजमेर घूघरा गांव निवासी 50 वर्षीय महिला मरीज पिछले एक वर्ष से दाहिने पैर में असहनीय दर्द, सूजन और अंगूठे में अल्सर (घाव) से पीड़ित थीं। उन्होंने कई अस्पतालों में उपचार कराया और उन्हें परिफेरल आर्टेरियल डिजीज (Peripheral Arterial Disease) का निदान हुआ। लंबे समय तक उपचार के बावजूद जब कोई राहत नहीं मिली, तो उन्हें पैर की अम्प्यूटेशन (काटने) की सलाह दी गई।

मरीज इस निर्णय से बेहद व्यथित थीं और धीरे-धीरे उन्होंने उम्मीद खोनी शुरू कर दी थी। अम्प्यूटेशन के डर से वे मानसिक रूप से भी टूट चुकी थीं। तभी उन्हें किसी ने सलाह दी कि वे जे.एल.एन. अस्पताल के पीएमआर विभाग में परामर्श लें।

मरीज ने पीएमआर ओपीडी में डॉ. प्रीति सोनी से संपर्क किया। डॉ. सोनी ने केस का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया और उन्हें भर्ती होने की सलाह दी। भर्ती के बाद, उन्होंने मेडिकल मैनेजमेंट के साथ एक्सरसाइज थेरेपी, सीरियल अल्ट्रासाउंड गाइडेड लम्बर सिम्पेथेटिक गैंग्लियन ब्लॉक प्रारंभ किया।

धीरे-धीरे मरीज के दर्द में अद्भुत कमी आई और पैर के अल्सर में तेजी से सुधार हुआ। उपचार के कुछ सप्ताहों बाद मरीज चलने-फिरने लगीं और अब वे पूर्णतः राहत महसूस कर रही हैं।

मरीज ने परिवार सहित अस्पताल लौटकर अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और विशेष रूप से प्राचार्य डॉ. अनिल समारिया, अधीक्षक डॉ. अरविंद खरे, विभागाध्यक्ष डॉ. हेमेश्वर हर्षवर्धन, उपचारकर्ता डॉ. प्रीति सोनी, तथा यूनिट हेड डॉ. कमलकांत का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि “पीएमआर विभाग ने मुझे नया जीवन दिया है, अब मैं बिना दर्द और भय के चल पा रही हूँ।”

इस सफलता के पीछे पीएमआर विभाग के समर्पित Resident Doctors ( Dr Albin George, Dr Ratan Meena  , Dr Vishal Sharma) ; नर्सिंग स्टाफ, ऑक्युपेशन थेरेपिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट टीम की निरंतर मेहनत और देखभाल रही, जिन्होंने मरीज के पुनर्वास में अहम भूमिका निभाई।

डॉ. अनिल समारिया ने कहा, “यह सफलता जे.एल.एन. अस्पताल की उन्नत चिकित्सा सुविधाओं और टीम भावना का परिणाम है।”
वहीं  अधीक्षक डॉ. अरविंद खरे ने बताया कि “पीएमआर विभाग में प्रतिदिन कई गंभीर और पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीज राहत पा रहे हैं। विभाग में दर्द प्रबंधन (Pain Management), न्यूरोलॉजिकल रिहैबिलिटेशन, स्ट्रोक और स्पाइनल कॉर्ड इंजरी, जोड़ों के दर्द, मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर, सेरेब्रल पाल्सी, पोस्ट-ऑपरेटिव रिहैबिलिटेशन तथा गिलियन बेरी सिंड्रोम जैसे गंभीर और क्रॉनिक मामलों का सफल इलाज किया जा रहा है।”

डॉ. हेमेश्वर हर्षवर्धन ने बताया कि “पीएमआर विभाग में भयंकर दर्द और पैर में जकड़न (spasm) को कम करने के लिए USG गाइडेड इंटरवेंशनल पेन मैनेजमेंट किया जाता है , साथ ही बोटॉक्स इंजेक्शन (Botulinum Toxin Injection) भी दिया जाता है जिससे मांसपेशियों की जकड़न में उल्लेखनीय राहत मिलती है।

हाल के महीनों में कई मरीज जिन्हें अन्य अस्पतालों में सर्जरी या अम्प्यूटेशन की सलाह दी गई थी, वे पीएमआर विभाग में उपचार लेकर बिना सर्जरी के ठीक हुए हैं।

यह सफलता न केवल चिकित्सा विज्ञान की एक मिसाल है बल्कि यह भी दर्शाती है कि सही निदान, आधुनिक तकनीक और समर्पित टीम प्रयास से मरीज को नया जीवन दिया जा सकता है।


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