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April 24, 2025
धर्म, संस्कृति और अध्यात्म की त्रिवेणी बना अजमेर का श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र, जहाँ जैसवाल जैन समाज के तत्वावधान में आयोजित पंचकल्याणक महा महोत्सव का पांचवां दिन ज्ञान कल्याणक के रूप में बड़े हर्ष और उल्लास से मनाया गया। देश और विदेश से हजारों श्रद्धालु इस आयोजन का हिस्सा बने और भगवान के ज्ञान कल्याणक के दिव्य क्षणों के साक्षी बने।
पांच दिवसीय पंचकल्याणक महा महोत्सव के इस विशेष दिन की शुरुआत प्रातःकाल भगवान के जल अभिषेक से हुई। मंत्रोच्चारण और भक्ति की रसधारा के बीच जब भगवान का अभिषेक हुआ, तो सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया। इसके पश्चात विविध पूजा-अर्चनाएं की गईं, जिनमें श्रावकों ने पूरे मनोयोग से भाग लिया।
ज्ञान कल्याणक का महत्व और आचार्य वसुनंदी जी महाराज का प्रवचन
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहे जैनाचार्य वसुनंदी जी महाराज के मंगल प्रवचन। उन्होंने ज्ञान कल्याणक के महत्व को विस्तार से समझाते हुए कहा कि यह वह दिव्य क्षण होता है जब तीर्थंकर को केवलज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे वह समस्त जीवों के कल्याण हेतु उपदेश देने योग्य बनते हैं। उन्होंने भगवान के जन्म से लेकर ज्ञान प्राप्ति तक की सम्पूर्ण आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन किया और समाज को धर्म और संयम की राह पर चलने का आह्वान किया।
गणमान्य अतिथियों का आगमन, भामाशाहों का सम्मान
इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री गौतम दत्त कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके साथ अजमेर सरस डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी और जैन समाज के प्रमुख भामाशाह अशोक पाटनी भी उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने आचार्य वसुनंदी जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया और आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
गौतम दत्त ने अपने उद्बोधन में कहा, "हम सबका परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति हो, और यह तभी संभव है जब हम संतों के वचनों को अपने जीवन में उतारें।" उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष उल्लेख करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी जैन न होते हुए भी नवकार दिवस पर जैन समाज के कार्यक्रम में भाग लेकर इस परंपरा के महत्व को दर्शा चुके हैं।" उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए इस आयोजन को आध्यात्मिक चेतना का जागरण बताया।
आचार्य की विनम्र माँग : तीर्थ क्षेत्र को मिले 'जैन नगर' का दर्जा
इस अवसर पर आचार्य वसुनंदी जी महाराज ने मंत्री गौतम दत्त के समक्ष कुछ महत्वपूर्ण मांगें भी रखीं। उन्होंने आग्रह किया कि इस तीर्थ क्षेत्र को "जैन नगर" नाम दिया जाए और अजमेर विकास प्राधिकरण द्वारा इस क्षेत्र में "जैन नगर" के बोर्ड लगाए जाएं। इसके अतिरिक्त उन्होंने मांग रखी कि तीर्थ क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में शराब और मांस की कोई दुकान संचालित न हो।
इस पर मंत्री दत्त ने विश्वास दिलाया कि वह इन सभी प्रस्तावों को राज्य सरकार के समक्ष रखेंगे और इनके क्रियान्वयन का हरसंभव प्रयास करेंगे। समाज के श्रद्धालुओं ने इस पहल का समर्थन करते हुए वातावरण को तालियों की गूंज से भर दिया।
आचार चर्या का आयोजन : संयम और श्रद्धा का संगम
इसके पश्चात जैन समाज की परंपरा के अनुसार महामुनि की आहार चर्या का आयोजन किया गया। इसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और आचार चर्या के विशेष नियमों का पालन करते हुए आहार दान किया। आहार देने से पूर्व श्रावकों को जीवन भर जमीन के नीचे उगने वाले फल-सब्जियों का त्याग करना पड़ा, साथ ही रात्रि भोजन का पूर्ण परित्याग करना पड़ा। इस संयम के बिना आहार दान संभव नहीं था, जिससे आयोजन की पवित्रता और भी बढ़ गई।
श्री समवशरण की सजावट और पूजा : भक्ति का अद्वितीय दृश्य
ज्ञान कल्याणक दिवस की अगली कड़ी में भगवान के समवशरण की दिव्य सजावट की गई, जिसमें सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। समवशरण में भगवान की पूजा अर्चना और मंगल स्तुति के साथ भक्ति की लहर पूरे परिसर में फैल गई।
"खवगराय शिरोमणि" पुस्तक का विमोचन : बना विश्व रिकॉर्ड
आज के दिन श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र पर एक और ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित हुआ। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के कर कमलों से "खवगराय शिरोमणि" नामक एक विशाल ग्रंथ का विमोचन किया गया। यह ग्रंथ 36 फीट लंबा और 24 फीट चौड़ा है, जो जैन संत आचार्य विद्यानंद जी महाराज के जीवन, दर्शन और समाज सेवा पर आधारित है।
इस विशाल ग्रंथ के निर्माण में लगभग 1500 स्क्वायर फीट फ्लेक्स, 50 लीटर पेंट और 1000 किलोग्राम लोहे का उपयोग किया गया। इसमें कुल 18 पृष्ठ हैं, जिन्हें 15 से 20 समर्पित कलाकारों और सेवकों ने महज 5 दिनों में तैयार किया। यह कार्य न केवल जैन समाज के लिए बल्कि समूचे भारतवर्ष के लिए गौरव का विषय है। इस अवसर पर 101वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में आचार्य विद्यानंद जी को समर्पित यह ग्रंथ समर्पित किया गया।
108 फीट ऊँचा जैन ध्वज फहराया गया
पुस्तक विमोचन के साथ ही कार्यक्रम में एक और धार्मिक प्रतीकात्मकता देखी गई, जब श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र पर 108 फीट ऊँचा जैन ध्वज फहराया गया। यह ध्वज जैन धर्म के सिद्धांतों, आत्मबल और अहिंसा का प्रतीक बनकर आकाश में लहराता रहा।
मंगल आरती और कवि सम्मेलन : संस्कृति और साहित्य का संगम
शाम के समय भगवान की भव्य मंगल आरती का आयोजन हुआ, जिसमें हज़ारों श्रद्धालु सम्मिलित हुए। आरती के पश्चात एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से आए ख्यातनाम कवियों ने धर्म, भक्ति, समाज और संस्कृति पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। इस आयोजन ने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
आगामी दिन : मोक्ष कल्याणक का आयोजन और प्रथम महामस्तकाभिषेक
महामहोत्सव का अंतिम दिन मोक्ष कल्याणक के रूप में और भी दिव्य रूप में मनाया जाएगा। इस दिन 5 हाथी, घोड़े, बग्गी, बैंड के साथ शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो तीर्थ क्षेत्र की परिक्रमा करेगी। इसके उपरांत हवन और पूजा के साथ भगवान के प्रथम महामस्तकाभिषेक का भव्य आयोजन किया जाएगा।
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