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April 21, 2022
लगभग 1 साल बाद गुरुवार को नगर निगम की साधारण सभा जवाहर रंग मंच पर सुबह 11:00 बजे से आयोजित हुई और हंगामे के बीच मात्र 1 घंटे में ही संपन्न भी हो गई। नगर निगम की साधारण सभा को लेकर जहां कांग्रेस और भाजपा ने प्री जीसी आयोजित कर जनहित और विकास के मुद्दों को सदन के पटल पर उठाने और उन पर चर्चा करने के बड़े-बड़े सपने संजोये थे वह सभी सपने हंगामे के बीच धराशाई हो गए। नगर निगम महापौर बृजलता हाड़ा ने नगर निगम के अधिकारियों को पूरी तैयारी के साथ बैठक में आने के आदेश दिए थे। जिसके चलते निगम आयुक्त देवेंद्र कुमार सहित उपायुक्त व संबंधित विभागीय अधिकारी अपने दस्तावेजों के साथ जवाहर रंग मंच के मंच पर मौजूद रहे। जहां निगम महापौर की अध्यक्षता में साधारण सभा शुरू हुई साधारण सभा को लेकर पहले ही कयास लगाए जा रहे थे कि सभा हंगामेदार होनी है और हुई भी। वही कांग्रेसी पार्षदों द्वारा नगर निगम की साधारण सभा में महापौर से तीन सवाल पूछे गए जिसकी तख्ती लेकर मनोनीत पार्षद विपिन बेसिल सदन में मौजूद रहे। जिस पर लिखा था हमारे प्रस्ताव आमंत्रित व सम्मिलित क्यों नहीं किए गए? क्या पार्षद रबर स्टांप हैं? आम सभा नियमित अवधि में आयोजित क्यों नहीं हो रही और नीचे लिखा था हाले गुलिस्ता क्या होगा हमारे अजमेर का क्या होगा विकास? इसके बाद पार्षद नोरत गुर्जर, नरेश सत्यावना, विपिन बेसिल, हेमंत शर्मा आदि ने मंच से सवाल किए और उस पर चर्चा की मांग की। लेकिन इसी बीच कांग्रेसी पार्षदों ने हंगामा करते हुए स्टेज पर चढ़कर धरना दे दिया। जिससे व्यवस्था बिगड़ गई और भाजपा पार्षदों ने एकजुटता का परिचय देते हुए एजेंडे में शामिल 12 प्रस्तावों में से एक से लेकर 12 तक के प्रस्तावों को ध्वनिमत से पारित कर दिया। वही 12 वें प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया जबकि 14 और 15 नंबर के प्रस्ताव को संबंधित मूल विभाग को प्रेषित कर दिया गया। उपमहापौर नीरज जैन ने बताया कि कांग्रेसी पार्षद जिनकी संख्या अट्ठारह है और उनके साथ मनोनीत पार्षद पहले से ही हंगामे का मन बना कर आए थे और उन्होंने हंगामा किया भी। जिसके चलते साधारण सभा की बैठक में व्यवधान पैदा हुआ और महापौर ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए भाजपा पार्षदों के पूर्ण बहुमत के साथ सभी प्रस्तावों को पारित कर दिया। आउट ऑफ एजेंडा में जो प्रस्ताव आए हैं उनका जवाब 15 दिन की अवधि में दिया जाना है लेकिन हम 7 दिन की अवधि में उनका जवाब दे देंगे। हालांकि इसके बाद भी कांग्रेसी पार्षद स्टेज पर धरना लगाकर बैठ गए और रामधुनी गाने लगे। कांग्रेस के पार्षद नरेश सत्यावना, गजेंद्र सिंह रलावता, विपिन बेसिल ने साधारण सभा को काला दिवस बताया उन्होंने कहा कि कमीशन खोरी वाले प्रस्ताव एकजुटता के साथ पारित किए गए हैं। पार्षद नोरत गुर्जर ने कहा कि असंवैधानिक तरीके से आयोजित जीसी की कार्रवाई की मुख्यमंत्री से शिकायत की जाएगी। विकास के काम में भेदभाव बर्दाश्त नहीं होगा। भाजपा पार्षद भारती श्रीवास्तव ने कहा कि जीसी में व्यवधान डालकर कांग्रेसी पार्षदों ने अपनी मंशा जाहिर कर दी, इनको शहर के विकास से कोई मतलब नहीं है। कोई साधारण सभा समाप्त होने के बाद जवाहर रंग मंच से निकल रही महापौर बृज लता हाड़ा से जब पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेसी पार्षदों द्वारा हर बार की तरह इस बार भी हंगामा खड़ा कर जीसी में व्यवधान पैदा किया गया जिसके चलते बहुमत के साथ भाजपा बोर्ड ने सभी प्रस्तावों को पास कर दिया है अगर अगर शांति से संवैधानिक तरीके से जीसी में अजमेर के विकास के मुद्दों पर चर्चा होती तो उसके परिणाम कुछ और होते। पार्षद देवेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कांग्रेसी पार्षदों ने उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है। महापौर ने कांग्रेसी पार्षदों से आगे होकर प्रस्ताव मांगे लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मेयर को दिए गए आदेश के मुताबिक मेयर को निर्देशित किया गया कि सिर्फ एजेंडे पर ही चर्चा की जाएगी जीसी में एजेंडे से बाहर कोई चर्चा नहीं होगी। अब ऐसे में कांग्रेसी पार्षदों को खुद अपने मुख्यमंत्री के आदेश पर ऐतराज है तो वे उसे निरस्त कराएं। वही जीसी खत्म होने के बाद नगर निगम में निर्दलीय पार्षदों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए जवाहर रंगमंच के मुख्य द्वार के बाहर धरना शुरू कर दिया। निर्दलीय पार्षदों का आरोप था कि वह विधायकों और मनोनीत पार्षदों की चाटुकारिता नहीं कर सकते। उनकी कोई सुनने वाला नहीं है ना ही उनके वादों के लिए कोई बजट दिया जा रहा है। ऐसे में वह अपनी समस्या किस के सामने रखें, ना महापौर सुनती हैं ना ही मनोनीत पार्षद, ऐसे में उनके वार्ड में कोई विकास कार्य नहीं हो पा रहा। निर्दलीय पार्षद शाकिब,कुंदन वैष्णव ,नरेन्द्र तूनवाल ने बताया कि विकास और जनहित के मुद्दों पर सदन में चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस और बीजेपी दोनों की मिलीभगत से हंगामा खड़ा कर बैठक को 1 घंटे में ही खत्म कर दिया गया। यह रणनीति पहले से ही तैयार थी जिसमें बलि का बकरा निर्दलीय पार्षद बने और शहर का नुकसान हुआ है।
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