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#मधुकर कहिन: क्यूँ सिंधी अधिकारियों के ही पीछे पड़ी है अजमेर की कांग्रेस ?

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February 29, 2020

#मधुकर कहिन 2226

 *क्यूँ सिंधी अधिकारियों के ही पीछे पड़ी है अजमेर की कांग्रेस ?* 

*जो दिखता है अपुन वही लिखता है ...*


✒️ *नरेश राघानी* 


कांग्रेस सैकड़ों बार अजमेर के सिंधी समुदाय के वोटों की वजह से मूँह की खाने के बावजूद अब तक सबक नहीं ले पाई है। *अब तो ऐसे लगने लगा है की कांग्रेस राज आते ही सिंधी समुदाय से हार की रड़क निकाली जा रही है ।* सैकड़ों ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किये जा सकते हैं।  जो कि अजमेर में इस समुदाय से जुड़े लोगों के साथ *जानबूझ कर पक्षपात पूर्ण रवैया रखे जाने को दर्शाते हैं।* व्यापारियों , नेताओं यहाँ तक कि अब अधिकारियों तक को नहीं बख्शा जा रहा है। *अरे भाई!!!  चुनाव में जीत या हार आपके अपने कर्मों से हुई है और खार निकालो एक समुदाय से ??? ये कहाँ का इंसाफ है ?* 


 *यह लेख आगे पढ़ने से पहले मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि मेरे इस लेख को जातिवाद का चश्मा उतार कर पड़ा जाए !!! मैं शहर के एक ज़िम्मेदार नागरिक होने की हैसियत से यह बात कह रहा हूँ। और खम ठोक के कह रहा हूँ कि यह सब हो रहा है।* 


शहर में *महेंद्र सिंह रलावता* जैसे गिने-चुने निष्पक्ष कांग्रेसी नेताओं के अलावा लगभग सारी कांग्रेस के दिमाग में यह हीन भावना सिंधी समुदाय के लिए घर कर चुकी है । 


 *ताजा उदाहरण*


हाल ही में शहर के एक समारोह स्थल पर सीज़ की कार्यवाही करने गए नगर निगम दल की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करने के चलते , *मौके पर मौजूद चार अधिकारियों ने कांग्रेस नेताओं पर मुकदमा दर्ज करावाया। मुकदमा दर्ज करवाने वालों में निगम दस्ते के अधिकारोयों जैसे सत्यनारायण बोरा, नीलू गुर्जर ,पवन मीणा और रेखा जेसवानी सभी शामिल थे।* वहाँ मौजूद कांग्रेसी नेताओं के अभद्र व्यवहार को इन सभी निगम कर्मियों ने *बड़ी शालीनता* से झेला और अपना काम करते रहे। जिसके *वीडियो सोशल मीडिया* पर भी चले। जिसमें *कांग्रेस नेता अभद्र तरीके से वहां मौजूद महिला अधिकारी रेखा जेसवानी पर सरकारी कार्यवाही में व्यवधान पहुंचने के मंतव्य से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को बुलाने की धमकी देकर राज्य कार्य में बाधा पहुंचा रहे थे।* और रेखा जेसवानी सहित सभी निगम दस्ते के कर्मचारी शालीनता से अपना काम अंजाम दे रहे थे। यह सब खुले आम लोगों के सामने हुआ। *जब सब कुछ हो गया तो बाकी सब कर्मचारियों को छोड़कर केवल रेखा जेसवानी की शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष के मार्फ़त राज्य सरकार को भेजी गई । जिस पर राज्य सरकार ने अपने कर्तव्य का सजग पालन करने के इनाम स्वरूप केवल रेखा जेसवानी को एपीओ नोटिस थमा दिया।*


 कांग्रेस अध्यक्ष से यह सवाल है कि *बाकी तीन निगम कर्मियों की शिकायत क्यूँ नहीं कि गयी ? जबकि कांग्रेसियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में अन्य तीन कर्मचारी भी शामिल थे ? यह कार्यवाही केवल रेखा जेसवानी पर क्यूँ ???* 


 *दूसरा उदाहरण -* 

जलदाय विभाग से हाल ही में सेवानिवृत एक राज्य कर्मचारी के सिंधी परिवार की कथा सुन रहा था। जिस पर 7 करोड़ के घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था । *जबकि उस कांड में तत्कालीन जलदाय मंत्री के निकट सहयोगी और विभाग के कुछ उच्च स्तरीय अधिकारी भी शामिल थे ।* उस अधिकारी की पदोन्नति और सुविधाएं लगभग 15 साल तक रोक दी गयी और उसे उसकी सेवानिवृति से दो दिन पूर्व ही विभाग द्वारा दोषमुक्त कर के  रिटायर किया गया । अब सवाल यह है कि *यदि वह अधिकारी बिल्कुल निर्दोष था ? तो उसे 15 साल तक यह प्रताड़ना क्यों दी गई ??? क्यों उसकी सुविधाओं पर रोक लगाई गई ??? क्या महज इसलिए कि वह अपना मुंह बंद रखें और चुपचाप सब कुछ सहन करता रहे ???* 


 *तीसरा उदाहरण* 

एसे ही *चिकित्सा विभाग में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी* को लगातार 2 साल तक बिना तनख्वाह के और पोस्टिंग के लगातार प्रताड़ित किया गया । जो *कांग्रेस मानसिकता का अधिकारी* माना जाता है। और भाजपा राज में इसी वजह से ससपेंड किया गया क्यूँकि किसी कांग्रेस नेता के साथ उसकी फोटो वायरल हो गयी थीं। तब भी अजमेर के कांग्रेसी उसका साथ नहीं दे रहे थे। इसलिए नहीं कि क्योंकि उनका राज नहीं था। *मात्र इसलिए कि वह व्यक्ति अपनी प्रतिभा के दम पर कई वर्ष पहले ,अजमेर उत्तर के विधायक दिवंगत किशन मोटवानी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था । और मोटवानी की ही कृपा से राज्य सरकार में सिंधी साहित्य अकादमी के चेयरमैन पद पर भी मनोनीत किया गया था।* शायद यही वजह रही कि अजमेर के *सिंधी प्रेमी कांग्रेसियों को इस व्यक्ति को प्रताड़ित देखकर आनंद आ रहा था ।* जब सरकार आ गयी तो ये सभी कांग्रेसी नेता ,भजपा मानसिकता से ग्रस्त अधिकारियों से सांठ गांठ कर इस व्यक्ति को राहत मिलने के सभी रास्ते रोक कर खड़े हो गए। बड़ी मुश्किल से कांग्रेस के एक *वरिष्ठ प्रदेश सचिव* को इस अधिकारी की स्थिति पर रहम आया और उसने सक्रिय भूमिका निभाते हुए आखिरकार राहत पहुंचाई।


इन सभी उदाहरणों में कुछ और समानता हो या न हो ??? *इन सब का एक ही समान दोष है । वह यह कि यह सभी उस समुदाय से हैं जिसका पिछले 20 साल से कांग्रेस अजमेर में तिरस्कार कर रही है।* 

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस को अजमेर में इस उपेक्षा और तिरस्कार की कीमत नहीं चुकानी पड़ी है !!! *कांग्रेस पार्टी को अजमेर में इसकी जबरदस्त कीमतें चुकानी भी पड़ी है। जिसके चलते पिछले 20 साल से अजमेर उत्तर और दक्षिण दोनों ही विधानसभाओं में कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है।* क्योंकि शहरी क्षेत्र में इस समुदाय की जबरदस्त छाप है। फिर भी राजनीति *जो कि राज कायम करने हेतु बनाई गई नीति को कहते हैं। ऐसी राजनीति का सरल सा पाठ समझने में अजमेर की कांग्रेस बार बार फेल होती है ...* यह कांग्रेस के लिए बहुत दुःखद है। 


इतना सब कुछ होने के बाद भी यदि कांग्रेस अपना रवैया इस समुदाय के लिए, बरकरार रखती है ?? तो कांग्रेस की मर्जी है ... बाकी यह समझदार राजनीति का परिचायक बिल्कुल नहीं है। 


 *खैर अपुन को क्या मतलब बाबू !!! इससे ज्यादा कुछ बोलेंगे तो लोग समझेंगे किअपुन का इसमें कोई पर्सनल मतलब है ... क्या ???* 

 *तो अपुन अपनी बात कह कर चुप हो जाते हैं। लेकिन अपने बारे में कोई गलतफहमी किसी के मन में हो तो साफ कह देते हैं भाई !!! अपन किसी की तरफदारी नहीं कर रहे ले हैं।* 


 *जो दिखता है अपुन वही लिखता है ...* 


 *जय श्री कृष्ण* 


नरेश राघानी

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