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September 22, 2017
खबर समाज को पीछे धकेलने वाले, कई महिलाओं का जीवन बर्बाद कर देने वाले भोपों के सच पर आधारित है। ये भोपे दावा करते हैं कि उनके पास हर दुख-दर्द की दवा है। चाहे बीमारी हो या डायन का साया। हैरानी तो यह है डायन कौन है, यह भी ये खुद तय कर देते हैं। इन्हीं के सुनाए फरमानों नेे भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व राजसमंद जिलों में पिछले कुछ सालों में 105 महिलाओं को डायन बना दिया। 22 महिलाओं को गांव से बाहर निकाल दिया गया। आठ को पीट-पीटकर मार डाला गया। एक महीने तक इन तीनों जिलों में ऐसे 50 भोपों की पड़ताल की। उनकी कथित शक्तियों की जांच-परख की। इस स्टिंग में बाल एवं महिला चेतना समिति की अध्यक्ष तारा अहलुवालिया व उनकी सहयोगी रानी सिंह, अनिता टांक भास्कर टीम के साथ रहीं। ये महिलाएं ग्रामीण वेशभूषा में भोपों से पीड़ित बनकर मिली। स्वस्थ महिलाओं को भी भोपों ने डायन का शिकार बता दिया। इनै तो डायन खा री है...
- महिलाओं को देखते ही हर भोपे ने कहा- इनै तो डायन खा री है। (इसे तो डायन खा रही है...)।
- भोपों से मिलना, उनका गुपचुप वीडियो बनाना किसी खतरे से कम नहीं था। इस स्टिंग में भोपों का अभद्र और अत्याचार वाला चेहरा सामने आया।
- चित्तौड़ के पास पुठोली गांव में बाकायदा वार्ड बनाकर दुख-दर्द के मरीजों का इलाज करने वाला सिराजुद्दीन तो टीम की सदस्य से अभद्रता पर उतर आया। इलाज के नाम पर शरीर पर हाथ घुमाता रहा।
- भीलवाड़ा के भुणास में देवकिशन भोपा ने तो डायन भगाने के नाम पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए। वहीं, भीलवाड़ा के निम्बाहेड़ा जाटान में झूमरी भोपी ने टीम की महिला सदस्य के बाल तक उखाड़ लिए।
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