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June 20, 2017
सिटी रिपोर्टर- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की संयुक्त सचिव डॉक्टर अर्चना ठाकुर ने कहा है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में मानवीय मूल्य जरूरी है। मानवीय मूल्यों के अभाव में शिक्षा व युवा दिशाहीन होते जा रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय व जबलपुर मैनेजमेंट एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में साहित्य और संस्कृति में व्याप्त मानव मूल्य विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए ठाकुर ने कहा कि शिक्षा पद्धति में संस्कृति एवं मूल्यों का अभाव होता जा रहा है। इसके पीछे पठन और पाठन की कमी मुख्य कारण है। साहित्य के माध्यम से मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाया जा सकता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोडानी ने कहा कि मानवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए व्यक्ति की मानसिकता को बदलना जरूरी है। मानसिकता से ही मानव मूल्यों का संरक्षण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज बाप की बेटी से ज्यादा प्रिय लोगों को अपनी बेटी लगने लगी है। यह संस्कारों का पतन ही कहा जा सकता है। संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद हिंदी साहित्य संस्थान मद्रास की अध्यक्ष मधु धवन ने कहा कि साहित्य से संस्कारों को समझाया जा सकता है। इस मौके पर रजिस्टर सतीश अग्रवाल ने कहा आने वाले समय में हर विषय की समानांतर शिक्षा महत्वपूर्ण होगी और इसके लिए यूजीसी द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। इस मौके पर केंद्रीय विश्व केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में प्रोफेसर वह संगोष्ठी की अकादमी सचिव लक्ष्मी आयर व जबलपुर मैनेजमेंट एसोसिएशन के अनिल मेहरा ने भी विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी संयोजक विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव डॉक्टर सूरजमल राव ने बताया कि संगोष्ठी के प्रथम दिन दो सत्र आयोजित किए गए, जिसमें लगभग 40 सूत्र शोध पत्र पढ़े गए द्वितीय दिवस बुधवार को 3 सत्र आयोजित किए जाएंगे संगोष्ठी का समापन दोपहर 12:30 बजे होगा।
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