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June 18, 2017
नेशनल रिपोर्टर- जीएसटी के कुछ टैक्स स्लैब ऐसे हैं जिसे लेकर व्यापारियों में जबरदस्त असंतोष है. नयी कर प्रणाली में अधिकतम टैक्स स्लैब 28 प्रतिशत का है और सरकार ने मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग को इसी कैटेगरी में रखा है. औसतन करीब 10 से सीधे 28 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी सुनने के बाद व्यापारी डरे हुए हैं. मिसाल के लिए मार्बल-ग्रेनाइट की स्टोन इंडस्ट्री.फिलहाल देश के अलग-अलग राज्यों में 5 से 12 फीसदी का सिर्फ वैट अदा कर रहे मार्बल, ग्रेनाइट, स्टोन और टाइल व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी काउंसिल द्वारा निर्धारित 28 पर्सेंट की टैक्स रेट नोटबंदी के बाद पहले से मंद पड़े व्यवसाय को और मुश्किल में ला देगी.पिछले कई दिनों से फिग्सी यानी फेडरेशन ऑफ इंडियन ग्रेनाइट एंड स्टोन इंडस्ट्री के व्यापारी दिल्ली में डटे हैं. व्यापारियों ने सरकार से गुजारिश की है कि जीएसटी रेट को संशोधित कर दोबारा निर्धारित किया जाए.
फेडरेशन ऑफ इंडियन ग्रेनाइट एंड स्टोन इंडस्ट्री के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य नरेश पारिक ने बताया कि राजस्थान समेत देश के सात राज्यों में पत्थरों के काम में लगे करीब 20 लाख परिवारों पर जीएसटी के 28 प्रतिशत टैक्स की वजह से रोजगार जाने का खतरा मंडरा रहा है.पारिक ने कहा कि बीते साल हुई नोटबंदी के बाद व्यापार किसी तरह वापस पटरी पर लाने के प्रयासों में लगे व्यापारियों के लिए 28 पर्सेंट जीएसटी एक धक्के जैसा है. ग्रेनाइट स्टोन के व्यापारी पहले से ही हैवी इंपोर्ट ड्यूटी और मंदी की समस्याओं से जूझ रहे हैं, ऐसे में अगर 5 प्रतिशत से टैक्स की ये रेट सीधे 28 प्रतिशत की गई तो व्यापारियों की कमर टूट जाएगी.
उन्होंने कहा कि बहुत से व्यापारियों को तो अपना धंधा भी बंद करना पड़ेगा और ये कोई धमकी नहीं है बल्कि ये आप कुछ ही दिनों में होता हुआ देख लेंगे वहीं बेंगलूरू में जिगनी ग्रेनाइट इंडस्ट्रीज असोसिएशन के संस्थापक सदस्य ललित राठी कहते हैं, स्टोन व्यवसाय की बनावट ऐसी है कि हमारा ज्यादातर बिजनेस क्रेडिट पर चलता है और कई बार 3-6 महीनों में पेमेंट आता है. ऐसे में हर महीने रिटर्न फाइल करना और इनपुट क्रेडिट से जुड़ी पेचीदगी हमारे लिए बड़ी मुश्किल की बात होगी. अभी अगर टैक्स रेट को 28 की जगह 12 प्रतिशत रखा जाए तो ही बिजनेस करना संभव हो पाएगा.
दरअसल मार्बल-ग्रेनाइट को 28 फीसदी के स्लैब में रखने के पीछे वजह ये है कि सरकार इसे लक्जरी आइटम मानती है, जबकि इंडस्ट्री का तर्क है कि मार्बल-ग्रेनाइट जैसी चीजें आजकल हर आदमी अपने घर में इस्तेमाल कर रहा है और ये विलासिता की वस्तु नहीं रह गई है. लिहाजा इस सेक्टर को 28 प्रतिशत टैक्स नेट में रखना बेतुकी सी बात है. टैक्स में बढ़ोतरी से सरकार का टैक्स कलेक्शन कम होगा. कीमतें ज्यादा बढ़ने से बिक्री कम होगी और इसका असर रोजगार पर होगा.
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