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June 17, 2017
रिपोर्टर- राजधानी के ज्ञान भवन में शुक्रवार को आयोजित किसान समागम में राज्यभर से जुटे किसान खुल कर बोलते रहे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डूब कर सुनते रहे। उन्होंने कृषि योजनाओं की खूबियों और खामियों दोनों को समभाव से सुना। किसानों ने जहां खूबियों को रेखांकित किया, वहीं कमियों की ओर भी इशारा किया। माहौल बिल्कुल दोस्ताना था। दिनभर के समागम में मुख्यमंत्री किसानों के ही होकर रह गये।
उन्होंने बात-बात में किसानों के साथ मजे भी लिये, तो बीच में उनकी भूल का सुधार भी करते रहे। खास बात यह है कि लंच का समय आया तो मुख्यमंत्री ने खाना भी किसानों के साथ पंगत में ही बैठकर खाया। खाना भी अलग नहीं था। जो लंच पैकेट किसानों को दिया गया, वहीं सीएम को भी मिला। पूरे कार्यक्रम के दौरान सीएम बैठे रहे। इस दौरान वह सिर्फ दो मिनट के लिए एक बार मंच से उठे।
किसान भी मुख्यमंत्री को अपनी बात कहने को लेकर सजग थे। किसानों की किसी सलाह पर अगर सीएम बगल में बैठे मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह से बात करने लगते तो बोलने वाला किसान तब तक चुप रहता जब तक सीएम उनकी ओर मुखातिब न हो जाते। इस बीच सीएम ने किसानों के साथ हंसी-ठिठोली भी की। कार्यक्रम की शुरुआत में ही एक किसान ने नीलगाय की चर्चा की तो सीएम ने कहा कि अरे घोड़परास न कहिये। इसी तरह एक किसान ने जौ की खेती की बात की तो उन्होंने कहा कि जई कहिये ना। चर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर शुरू हुई तो एक किसान ने कहा कि लागत का दूना समर्थन मूल्य देने को कहा गया था। मुख्यमंत्री ने इसे सुधार करते हुए कहा कि दूना नहीं भाई ड्योढ़ा।
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