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June 17, 2017
रिपोर्टर- कोलकाता की एक युवती ने पढ़ाई प्रति जुनून और जज्बे की मिसाल पेश की है। युवती का यह साहसी कदम तब सामने आया है जब पूरे में देश में तीन तलाक का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। पढ़ाई करने से रोकने पर युवती ने अपने पति को तलाक दे दिया। युवती के इस काम से समुदाय के लोग हैरान हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं कि जो युवती के इस साहसिक कदम के लिए उसे दूसरी मलाला मान रहे हैं। पाकिस्तान में मलाला यूसुफजई नाम की किशोरी ने तालिबान के फरमानों के खिलाफ जाकर बच्चियों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया तो आतंकिया ने उसे गाली मारकर घायल कर दिया था। मलाला को उसके मानवीय काम और शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
युवती का नाम है मम्पी खातून। खातून को लेकर लोग इलाके में तरह तरह की चर्चा कर रहे हैं लेकिन वह इन सब अफवाहों को अनदेखा कर अपने फैसले पर अडिग हैं। खातून का कहना वह अपनी जिंदगी की खुद मालिक है और उसे मलाला जैसे ही अपना रास्ता चुनना होगा। कम उम्र में भी बड़ों जेसी बातें कर रही मम्पी का कहना है कि उन्हें अपने हर हक के लिए लड़ना पड़ेगा तभी जाकर कुछ हो पाएगा।उसकी मम्पी का घर कोलकाता से 55 किलोमीटर दूर स्थित मुलिकपुर मंदिर बाजार में है। मम्पी के घर वालों ने 2015 में ही उसकी शादी कर दी थी। मम्पी की जिस शख्स से शादी हुई थी वह एक चाय की दुकान चलाता है। मम्पी की जब शादी हुई तो वह नौवीं में पढ़ रही थी। उसके अपने घर वालों से अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए मनाया था लेकिन अब 10वीं के बाद उसके घर वाले आगे नहीं पढ़ने दे रहे थे। वह आगे पढ़ना चाहती है लेकिन उसके घर वाले उसे बाहर नहीं निकलने दे रहे। इस बात से परेशान होकर अपने पिता के घर आ गई। उसका पति जब यहां उसे लेने आया तो उसने उसके साथ जाने से मना कर दिया। इतना ही नहीं उसने कहा कि वह अब कभी उसके (अपने पति के घर) नहीं जाएगी। उसने अपने पति से चिल्लाकर तीन बार तलाक भी बोल दिया।
मम्पी खातून ने कराया एडमिशन
अपने पति को तलाक देने बाद पिछले ही महीने मम्पी ने पास के कृष्णचंद्रपुर हाईस्कूल में एडमिशन कराया और दोबारा स्कूल जाने से बेहद खुश है। उधर मम्पी की पढ़ाई में दिलचस्पी देख स्कूल के हेड मास्टर ने उसकी एडमिशन फीस और ट्यूशन फीस भी माफ कर दिया है। मम्पी का कहना है कि उसने अपनी मर्जी के खिलाफ शादी करके बड़ी गलती कर दी थी। वहीं मामले पर एक मौलाना ने मीडिया से कहा है कि तीन बार तलाक बोलने का अधिकार केवल पुरुषों को है। महिलाएं अगर तीन बार तलाक बोलती हैं तो उसे नहीं माना जाएगा। इसके जवाब में एक पूर्व स्कूल टीचर हाजी काजी जलालुद्दीन का कहना है कि लोग सही जानकारी नहीं देते। इस्लाम में महिला और पुरुष दोनों को समान अधिकार प्राप्त हैं। महिलाओं को विषम परिस्थितियों में तलाक देने का अधिकार है।
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