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November 18, 2025
जयपुर 18 नवंबर अपना 299 वां स्थापना दिवस मना रहा है। 18 नवंबर 1727 को सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा स्थापित यह शहर दुनिया का पहला सुनियोजित नगर माना जाता है, जहां निर्माण से पहले विस्तृत नक्शा तैयार किया गया था। सूर्य मंदिर से शुभारंभ के साथ शहर की नींव रखी गई। सवाई जयसिंह ने इसे ‘सवाया’ बनाने के लिए परंपरागत आठ की बजाय नौ चौकड़ियां विकसित कीं, जो आज भी इसकी अनोखी नगरीय संरचना को विशेष बनाती हैं। इस अवसर पर हम बता रहे हैं जयपुर की वे ऐतिहासिक और रोचक कहानियां, जो इस शहर की विरासत को और भी समृद्ध बनाती हैं।
शहर की शुरुआत में पेयजल का मुख्य स्रोत द्रव्यवती नदी थी। अमानीशाह बाबा की दरगाह के पीछे आमेर और किशनबाग की पहाड़ियों से पानी नाहरी का नाका होकर नीचे बहता और चांदपोल के पास स्थित सरस्वती कुंड में एकत्र होता था। यह वही कुंड है जिसमें 1981 की बाढ़ के बाद बने मजार बांध से पानी पहुंचाया जाता था।
जयपुर के सिटी पैलेस से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी यह है कि पहले इंपीरियल बैंक की रकम रोजाना शाम को त्रिपोलिया दरवाजे के नीचे बनी गुप्त सुरंग से सिटी पैलेस भेजी जाती थी। कपड़द्वार स्थित खजाने में राशि रात भर सुरक्षित रहती और अगली सुबह बैंक खुलते ही इसी सुरंग से वापस बैंक लौटती थी।
सवाई जयसिंह द्वारा नगर सुरक्षा के लिए बनवाया गया नाहरगढ़ किला भी इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे पहले ‘सुदर्शनगढ़’ कहा जाता था और उस समय इसके निर्माण पर मात्र तीन लाख रुपए खर्च हुए थे। आमेर महल में बनाया गया विशेष जल शुद्धिकरण कक्ष उस समय की उन्नत जल तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है। मावठा से पानी छत पर बने हौद में पहुंचाया जाता और पाइपलाइनों से शुद्धिकरण कक्ष में उतरता था।
जयपुर का मशहूर पांच बत्ती क्षेत्र पहले ठोलिया सर्कल कहलाता था। 1942 से 1946 के बीच मिर्जा इस्माइल ने एमआई रोड का निर्माण करवाया, और नगर सेठ बंजीलाल ठोलिया की विशाल इमारतों की वजह से इस क्षेत्र का नाम ठोलिया सर्कल पड़ा।इसी तरह आज का सी-स्कीम पहले अशोक नगर था, जिसे मिर्जा इस्माइल ने चारदीवारी के बाहर विकसित की गई पांच नई कॉलोनियों में से एक के रूप में बसाया था। उसी दौरान प्रसिद्ध स्टेच्यू सर्कल का निर्माण भी हुआ।
न्यू गेट का निर्माण भी दिलचस्प कहानी समेटे हुए है। ज्योतिषाचार्यों ने इसके नक्शे में वास्तु दोष बताया, जिसके निवारण के लिए द्वार के दोनों ओर पिंजरों में शेर स्थापित किए गए—जो आज भी इस द्वार की पहचान हैं।अजमेरी गेट स्थित पुलिस यादगार भवन का उद्घाटन 19 नवंबर 1912 को वायसराय लॉर्ड हार्डिंग्स ने विशेष रूप से बनाई गई सोने की चाबी से ताला खोलकर किया था। शहर का प्रतीक बन चुका अल्बर्ट हॉल अकाल राहत कार्यों के तहत जनता को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से बनवाया गया था। इसे मिस्त्री चंदर और तारा ने अंग्रेज इंजीनियर स्विंटन जैकब की देखरेख में तैयार किया था।स्थापना दिवस पर ये कहानियां जयपुर की उस विरासत को और भी जीवंत कर देती हैं, जिसने इस शहर को विश्वभर में अपनी अनूठी पहचान दिलाई है
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