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October 31, 2025
 
                            लंगड़ी दौड़ में विदेशी भी हुए फिदा, देसी प्रतिभागियों ने मेला मैदान में मचाया धमाल, 
पुष्कर मेले में रंगे देसी-विदेशी, सतोलिया और गिल्ली-डंडा ने बढ़ाया, संस्कृति, खेल और उत्सव का संगम बना पुष्कर मेला — देसी खेलों पर विदेशी पर्यटक हुए दीवाने
अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला अपने रंग में पूरी तरह रंग चुका है। मेले के दूसरे दिन देसी और विदेशी पर्यटकों ने राजस्थान की परंपराओं और ग्रामीण खेलों का अनोखा संगम देखा। पुष्कर मेला मैदान में आयोजित पारंपरिक खेल प्रतियोगिताओं में उत्साह और जोश का माहौल देखने को मिला। मेला मैदान में जहां एक ओर सांस्कृतिक झलकियां दिखाई दीं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण खेलों ने पर्यटकों का मन मोह लिया।
राजस्थान के मशहूर ग्रामीण खेलों में लंगड़ी दौड़ विशेष आकर्षण का केंद्र रही। 50 मीटर की इस लंगड़ी दौड़ में आठ देसी और आठ विदेशी महिलाओं ने भाग लिया। खेल शुरू होते ही मेला मैदान में उपस्थित दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया। एक पैर पर दौड़ती प्रतिभागियों ने न केवल खेल भावना का परिचय दिया, बल्कि राजस्थान की ग्रामीण संस्कृति को भी जीवंत कर दिया। इस प्रतियोगिता में नागौर की पिंकू ने पहला स्थान प्राप्त किया जबकि पुष्कर की प्रगति दूसरे स्थान पर रहीं। दोनों को मेला मैदान पर विशेष रूप से सम्मानित किया गया। विदेशी महिलाओं ने भी खेल में भाग लेकर ग्रामीण भारत के इस अनोखे खेल का आनंद उठाया। इसी क्रम में सतोलिया और गिल्ली-डंडा जैसी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, जिनमें विदेशी पर्यटकों ने विशेष दिलचस्पी दिखाई। सतोलिया खेल में 14 प्रतिभागियों की दो टीमों के बीच मुकाबला हुआ। विदेशी टीम ने टॉस जीतकर खेल की शुरुआत की, लेकिन खेल के नियमों को पूरी तरह न समझ पाने के कारण वे 26 अंकों के स्कोर के सामने हार गईं। वहीं गिल्ली-डंडा प्रतियोगिता में 16 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें आठ विदेशी और आठ भारतीय खिलाड़ी शामिल थे। इस रोमांचक मुकाबले में भी भारतीय टीम ने 26-2 के अंतर से जीत दर्ज की।मेले में मौजूद विदेशी पर्यटकों ने कहा कि उन्होंने पहली बार ऐसे ग्रामीण खेल देखे और इसमें हिस्सा लेकर वे खुद को राजस्थान की संस्कृति से जुड़ा महसूस कर रहे हैं। स्थानीय लोग और प्रशासनिक अधिकारी भी इन प्रतियोगिताओं में मौजूद रहे और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया।प्रतिभागी श्याम सुंदर सैन ने बताया कि इस तरह के आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि यह हमारी लोक परंपराओं को जीवित रखने का एक सुंदर प्रयास भी है। उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटकों का उत्साह देखकर लगता है कि भारतीय ग्रामीण संस्कृति का आकर्षण अब सीमाओं को पार कर चुका है।
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