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January 16, 2025
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सभी राज्य बार काउंसिलों को अपने रजिस्टर में दर्ज वकीलों की विस्तृत सत्यापन प्रक्रिया शुरू करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह कदम फर्जी योग्यता और अवैध रूप से जारी की गई कानून डिग्रियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए उठाया गया है।
बीसीआई ने हाल ही में फर्जी योग्यता और मानकों के खिलाफ जाकर जारी की गई डिग्रियों पर चिंता जताई है। इन घटनाओं ने कानूनी पेशे की साख और कानून की शिक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
फर्जी डिग्री का असर:फर्जी योग्यता न केवल कानूनी पेशे की साख को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि देशभर में कानून की डिग्रियों पर अविश्वास पैदा कर रही है।इस समस्या से निपटने के लिए वकीलों की पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की योजना बनाई गई है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय पर सवाल:बीसीआई ने विशेष रूप से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की आलोचना की, जिसने सत्यापन रिपोर्ट में देरी की है।सत्यापन प्रक्रियाओं के लिए अनावश्यक शुल्क वसूलने पर भी चिंता जताई गई है।
संदिग्ध विश्वविद्यालयों पर नजर: बीसीआई ने कुछ मान्यता प्राप्त और डीम्ड विश्वविद्यालयों पर सवाल उठाए हैं, जो नियमों के खिलाफ जाकर लॉ डिग्रियां जारी कर रहे हैं।इन विश्वविद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संभावना जताई गई है।सत्यापन प्रक्रिया में इन विश्वविद्यालयों से प्राप्त डिग्रियों की गहन जांच की जाएगी।
निर्देशों के मुख्य बिंदु: राज्य बार काउंसिलों को प्रत्येक वकील की योग्यता का सत्यापन करने के निर्देश।सत्यापन शुल्क में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का आदेश।दोषी पाए गए व्यक्तियों और संस्थानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी।
बीसीआई का उद्देश्य: बीसीआई ने इस प्रक्रिया का उद्देश्य कानूनी पेशे की गरिमा और विश्वसनीयता को बनाए रखना बताया है। सत्यापन प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि केवल योग्य और प्रामाणिक वकील ही पंजीकरण प्राप्त कर सकें।
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