Post Views 681
July 2, 2024
इन सवा सौ मौतों (हत्याओं)का जिम्मेदार आखिर कौन ?
वेद माथुर
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक फर्जी बाबा भोलेनाथ के तथाकथित सत्संग में हुई भगदड़ में कुछ पत्रकारों के अनुसार करीब सवा सौ लोग मारे गए।
मुझे इस हादसे में मारे गए उन सवा सौ लोगों के प्रति तो सहानुभूति है ही,साथ ही जो 50000 अंधभक्त इस सत्संग में आए, उनकी अल्प बुद्धि और अज्ञानता के मद्देनजर मेरी सहानुभूति उनके साथ भी है। जो लोग सूचना, ज्ञान और जागरूकता के इस युग में भी भीषण गर्मी और उमस के बीच एक फर्जी बाबा को भगवान का प्रतिनिधि या अवतार मानकर किसी चमत्कार की आशा से आए, उनकी बुद्धि पर मेरा तरस खाना लाजिमी है।
++++
आने वाले लोगों को लगा होगा कि इस चमत्कारी बाबा (जो खुद पुलिस के अंदर एक मामूली कर्मचारी था पर उसे समझ में आ गया कि पुलिस की नौकरी के बजाय बाबा बनना अच्छा है, जिसमें करोड़ों रुपए की टैक्सफ्री आय तो है ही और लोग भोले भाले लोग जल्दी ही उन्हें भगवान समझने लगते हैं) के दर्शनों और आशीर्वाद से उनकी गरीबी दूर हो जाएगी, उनकी अविवाहित लड़की को अच्छा वर मिल जाएगा, रोड इंस्पेक्टर बनकर निरर्थक घूमता नल्ला बेरोजगार बेटा सरकार में पटवारी या मास्टर बन जाएगा और जल्दी ही उनके सारे दु:खों का निवारण हो जाएगा तथा मरने के बाद जब वह ऊपर जाएंगे और भगवान को पता लगेगा कि ये बन्दा हाथरस में बाबा भोलेनाथ के दर्शन करके आया है तो इन्हें स्वर्ग में इन्हें मंत्री जी जैसा बंगला और सुविधाएं दे दी जाएंगी।
+++++
तीन दिन बाद मामला शांत हो जाएगा। लेकिन हां, विपक्ष इस मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा को ठप कर देगा, उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी हंगामा हो जाएगा पर अंततोगत्वा सब कुछ शांत हो जाएगा।
सरकार टैक्स पेयर के टैक्स से (जो कि सड़क, स्कूल और अस्पताल आदि बनाने के लिए लिया जाता है) से भक्तों को मात्र 2 लाख रु प्रति व्यक्ति मुआवजा देगी (हालांकि सरकारी तंत्र से 500 रु निकलवाना भी लोहे के चने चबाना होता है) और फाइल क्लोज हो जाएगी। सवाल यह है कि इन मौतों का जिम्मेदार कौन है ?
++++
इस मामले में सबसे बड़ी गलती इस फर्जी बाबा की है। इसे तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए, भले ही उसे सत्तारूढ़ पार्टी को 10 से 12 लाख वोटो का नुकसान हो जाए।
दूसरी गलती पुलिस और प्रशासन की है उनके वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए।
यदि इस तरह के हादसों में आयोजकों तथा पुलिस और प्रशासन को जवाबदेह नहीं बनाया गया तो भोले वाले गरीब लोग पहले की तरह आगे भी मारे जाते रहेंगे।
सरकार मृतकों के परिवार को दो लाख रु तथा गंभीर रूप से घायल लोगों को 50 लाख रुपए देकर अपना पल्ला झाड़ लेगी और बाकी पूरी उम्र मृतकों का परिवार रोता रहेगा।
सरकार के आला अफसर का निलंबन हुआ भी तो कुछ दिन बाद वह पिछले दरवाजे से वापस सरकारी सेवा में आ जाएंगे और फिर कुछ दिनों बाद हर व्यक्ति भूल जाएगा कि दुर्घटना के जिम्मेदार कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कौन थे?
धन्य हमारा भारत और धन्य है हमारा लोकतंत्र ! धन्य है यहां की सरकारें और अफसरशाही !!
काश, गरीबों की जान की भी कीमत होती!
वेद माथुर
8800445333
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved