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December 2, 2020
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का कश्मीर मुद्दे पर दोहरा चरित्र सामने आया है। एक तरफ ओआईसी भारत के खिलाफ इस मामले को अपनी चर्चा में शामिल करने से इंकार कर चुका है लेकिन दूसरी तरफ तीन इस्लामिक देशों के दबाव में एक प्रस्ताव पारित कर अनुच्छेद 370 हटाने को अधिकारों का हनन करार दे रहा है।
इन तीन देशों में मलेशिया, तुर्की और पाकिस्तान शामिल हैं जिन्होंने एक बयान जारी कर मांग की है कि संयुक्त राष्ट्र ‘इस्लामोफोबिया’ का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस का एलान करे। इन तीनों देशों के दबाव में ही कश्मीर पर बात न करने का एलान करने के बावजूद ओआईसी ने यह प्रस्ताव पारित किया जिस पर भारत ने कड़ा एतराज जताया है।
इस्लामिक सहयोग संगठन के प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के जिक्र पर भारत ने नाराजगी जाहिर करते और इसे अनुचित करार देते हुए देश के आंतरिक मसलों में दखल न देने की सलाह दी है। भारत ने कहा कि उपर्युक्त तीनों इस्लामिक देश जो लोकतंत्र की बात तो करते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इन देशों में अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता पर अंकुश, धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और काल्पनिक इस्लामिक जिहाद को बढ़ावा दिया गया है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरा साबित हो रहा है। भारत ने कहा कि ओआईसी की बैठक में जम्मू कश्मीर के मसले पर गलत, भ्रामक और अनुचित तथ्य रखे गए। भारत ने दो टूक शब्दों में कहा कि इस्लामिक सहयोग संगठन का देश के आंतरिक मसलों को लेकर कोई स्टैंड नहीं है और इसमें जम्मू कश्मीर का मसला भी शामिल है जो भारत का अभिन्न हिस्सा है।
भारत ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह निराशाजनक है जिस तरह से ओआईसी अभी भी ऐसे देश के बहकावे में आकर भारत विरोधी प्रचार में शामिल हो रहा है जिसका धार्मिक सहिष्णुता, कट्टरपंथ और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर एक घृणित रिकॉर्ड है। भारत ने ओआईसी को भविष्य में ऐसे मसलों से बचने की सलाह दी है।
गौरतलब है कि नाइजर की राजधानी नियामी में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को शुरू हुई। ओआईसी में 57 इस्लामिक देश शामिल हैं जिसका नेतृत्व सऊदी अरब करता है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद से ही पाकिस्तान लगातार कश्मीर मसले को लेकर मीटिंग बुलाने की मांग करता रहा है और हर बार मुंह की खाता रहा है।
बता दें कि करीब 50 मुस्लिम देशों की सदस्यता वाले ओआईसी को संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठन माना जाता है।
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