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November 30, 2020
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अक्सर भी भारत पर अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार करने का झूठा आरोप मढ़ते रहते हैं। हालांकि, उन्हें अपने मुल्क में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाली ज्यादतियां दिखाई नहीं देती हैं। वहीं, मानवाधिकार के मसले पर पाकिस्तान के अधिकार समूह की ओर से जारी आंकड़ों ने इमरान सरकार की सच्चाई सबके सामने ला खड़ी की है।
समूह ने दावा किया है कि देश के सबसे बड़े प्रांतों में से एक पंजाब प्रांत में महिलाओं के साथ जबरन धर्म परिवर्तन के 52 फीसदी मामले सामने आए हैं। इसमें इस बात को स्पष्ट किया गया है कि बहुसंख्यक समाज यहां के अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं को अपने निशाने पर ले रहा है।
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धर्म परिवर्तन रोकने के लिए नहीं उठाया गया कोई ठोस कदम
पाकिस्तान में अक्सर ही अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन के मामले सामने आते रहते हैं। इसके लिए पाकिस्तान की कई बार थू-थू भी हो चुकी है, लेकिन इमरान सरकार की तरफ से इस पर रोक लगाने के लिए कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन इस बार इतनी बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ जबरन धर्म परिवर्तन की घटना ने इमरान खान का असल चेहरा बेनकाब कर दिया है। पाकिस्तान के अखबार डॉन ने सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सीएसजे) के हवाले से बताया कि 2013-2020 के बीच लगभग 162 संदिग्ध धर्म परिवर्तन के मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
धर्म परिवर्तन में ऐसा रहा अन्य प्रांतों का हाल
सेंटर फॉर सोशल जस्टिस ने शनिवार को ऑनलाइन आयोजित जबरन धर्म परिवर्तन शिकायतें और धार्मिक स्वतंत्रता नामक विषय पर परिचर्चा आयोजित की, जिसमें इन आंकड़ों को साझा किया गया। आंकड़ों के जरिए बताया गया कि पंजाब से इतर सिंध में 44 फीसदी, खैबर पख्तूनख्वा में 1.23 फीसदी जबरन धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए। वहीं, बलूचिस्तान में सबसे कम एक मामला (0.62 फीसदी) सामने आया। यहां पर इमरान सरकार पहले से ही लोगों के निशाने पर है।
सबसे ज्यादा पीड़ित हिंदू समुदाय, 32 फीसदी लड़कियों की उम्र 11 से 15 साल के बीच
सीएसजे ने बताया कि पिछले सात वर्षों में बहावलपुर में जबरन धर्म परिवर्तन के सबसे ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए हैं। यहां कुल 21 मामले दर्ज हुए। सीएसजे के आंकड़ों से यह बात निकलकर आई कि धर्म परिवर्तन का सबसे अधिक शिकार हिंदू समुदाय (54.3 फीसदी) है। ईसाई समुदाय के 44.44 फीसदी, जबकि सिख समुदाय के साथ 0.62 फीसदी घटनाएं हुई हैं। जबरन धर्म परिवर्तन की शिकार सबसे अधिक 46.3 फीसदी नाबालिग लड़कियां हैं। इनमें से 32.7 फीसदी लड़कियों की उम्र महज 11 से 15 साल के बीच थी।
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