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August 5, 2020
जादूगर सइयाँ, छोड़ो मेरी बइयाँ, हो गई आधी रात, अब घर जाने दो
सचिन और गहलोत के बाड़े में अब ये गीत बजना शुरू_
गहलोत की प्रत्यंचा पड़ी ढीली_
हाईकमान का रुख़ नर्म भाजपा के गर्म_
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
_जादूगर सैयां, छोड़ो मोरी बैयां , हो गई आधी रात ,अब घर जाने दो.......।
जैसलमेर में यह गाना इन दिनों लोकप्रिय हो रहा है। बाड़े में बंद जनता के चुने हुए प्रतिनिधि बाड़ेबंदी से तंग आकर यही गाना गा रहे हैं।
गहलोत की तनी हुई प्रत्यंचा ढीली पड़ चुकी है। विधायक कोरोना वायरस जैसे कवरेंटाईन से बाहर आने को आमादा हैं। यह एक मानवीय मनोविज्ञान है। बाड़े में 1 महीने तक पशु भी बंद नहीं रह सकते।ये तो बेचारे इंसान हैं। इंसानों में भी विशेष प्रजाति। विधायक ।
मंत्रियों को अलग से होटल में रखा गया है। नए नए नियमों और परंपराओं को कायम किया जा रहा है। विधायकों को एक दूसरे के कमरे में जाने से रोका जा रहा है। जासूसी के लिए विधायकों को आपस में जिम्मेदारी सौंपी गई है।
उधर सचिन पायलट के बाड़े में भी कमोबेश यही स्थिति है। पिता की उम्र और सेहत दोनों ख़राब हैं मगर विधायक राकेश पारीक अपने राजनीतिक पिता की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अपने खुद के पिता को छोड़कर। अपने जन्मदाता को छोड़कर । यह उनका कौन सा धर्म है, मैं नहीं समझ पाया। जिन मतदाताओं ने उन्हें चुना उनकी देखभाल, सुख दुख की चिंता किए बिना वे जानवरों की तरह बाड़े में बंद है। कमाल है।
राकेश पारीक तो खिचड़ी का एक चावल हैं वरना सभी विधायकों के बारे में यही कहा जा सकता है। विधायक चाहे गहलोत के बाड़े में हों या सचिन पायलट के, सभी अपने मूल धर्म को त्याग कर सत्ता की लड़ाई में कंडोम बने हुए हैं।
कोंग्रेस में फिर हाईकमान भारी पड़ने लगा है। हाईकमान के बढ़ते प्रभाव और दिन प्रतिदिन घटते हौसले की वजह से जादूगर के हाथ-पांव फूलने लगे हैं।
देशद्रोह का आरोप लगाते हुए सचिन पायलट व उनके समर्थकों पर मुक़दमा दर्ज़ कराया गया था। वह अब वापस ले लिया गया है। एसओजी से जांच छीनकर भ्रष्टाचार विभाग को दे दी गई है। यह सब साफ़ दर्शा रहा है कि सचिन पायलट के खिलाफ जादूगर के ख्यालात अब बदल गए हैं।
जादूगर के बाड़े में बंद विधायक घर जाने को तिलमिला रहे हैं। पांच सितारा फोकट की सुविधाओं के आगे उन्हें घर की रोटियां याद आ रही हैं। ऐसे में गहलोत जी के तोते उड़े हुए हैं।
सचिन पायलट के हौसले बुलंद हैं। उनकी आवाज में तेज़ी आई है।उनके चिल्गोज़े लंबी ज़ुबान खोलने लगे हैं। कह रहे हैं कि गहलोत ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया। विज्ञापनों में सचिन के फोटो नहीं छापे।उनके कहने से ट्रान्सफर नहीं हुए। गहलोत सचिन पायलट के विज्ञापनों में फोटो छाप देते या उनके कहने से ट्रांसफर कर दिए जाते तो शायद यह नौबत नहीं आती। अब सचिन पायलट ये कह रहे हैं कि वे कांग्रेस में हैं और वापस भी आ सकते हैं मगर मुख्यमंत्री के रूप में गहलोत को कत्तई स्वीकार नहीं करेंगे।
उनके वही मानी हैं जो मैंने पिछले दिनों अपने ब्लॉग में पहले से ही लिख दिया था। सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, चाहते हैं क्या पहले भी चाहते थे मगर हाईकमान ने उनकी इच्छा कुचल कर गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया था।अब उनकी दमित इच्छा फिर हिलोरे मार रही है। वे भाजपा को भी इशारा कर चुके हैं कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए तो वे उनसे मिलने की सोच सकते हैं। अब कांग्रेस हाईकमान के सामने भी उन्होंने यही प्रस्ताव रखा है। शायद वे सोच रहे हैं कि उनके कहने पर गहलोत राजपाठ छोड़ कर वनवास चले जाएंगे। वैसे ही जैसे भगवान राम भरत को सत्ता सौंप कर जंगलों में चले गए थे।
गहलोत जिन्होंने सारा नाटक इसलिए मंचित किया कि उनकी सत्ता बनी रहे।वे मुख्यमंत्री बने रहे। फिर क्या वे इतनी आसानी से सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का पद देकर जोधपुर चले जाएंगे।
हाईकमान क्या इतनी बड़ी रिस्क लेगा जिस नेता के पास 19 विधायक हैं उनके लिए सौ विधायकों की शक्ति रखने वाले नेता को सत्ता से हटा दिया जाएगा। यह सचिन की भूल है। यह हवाई किले बना रहे हैं।
दरअसल सचिन जानते हैं कि गहलोत को मुख्यमंत्री पद से तभी हटाया जाएगा जब उनको केंद्र में सर्वोच्च पद दिया जाए जो गांधी परिवार के रहते सम्भव नहीं ।ऐसे में वे भाजपा में जाने के लिए नैतिक रूप से आज़ाद हो जाएंगे।ये एक तरह की ब्लैक मेलिंग ही है।
भाजपा के रणनीतिकार के आगे कांग्रेसी कहीं नहीं टिकते।वे सचिन को भी वही लॉलीपॉप पकड़ाना चाहते हैं जो उन्होंने ज्योतिरादित्य को पकड़ा दी थी।
अब सभी अदालत के फैसले की ताक में बैठे हैं। सचिन पायलट, अशोक गहलोत, सी पी जोशी, सुरजेवाला, अविनाश पांडे, ललित माकन ,खाचरियावास, गजेंद्र सिंह और भाजपा हाईकमान भी। फैसले के तुरंत बाद सभी तरफ से पत्ते खुलने शुरू हो जाएंगे।
सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे, यह तय है मगर इस बार या अगली बार। भाजपा की गोद में बैठकर या कांग्रेस की गोद में बैठकर।
जादूगर के हौसले फिलहाल पस्त हैं मगर मेरा मानना है कि गहलोत अपने पेशाब से चिराग जलाने का हुनर रखते हैं। सचिन पायलट क्या सोच कर क्या करना चाह रहे हैं। वे जाने मगर गहलोत को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ। वह सचिन को ठिकाने लगाने के लिए किसी भी हद तक चले जाएंगे। वैसे वसुंधरा जी भी तैयार बैठी हैं।
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