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May 24, 2018
नरेश राघानी
वैसे तो मां का दर्जा किसी एक दिन के आभार का मोहताज नहीं है। लेकिन फिर भी अंग्रेजी संस्कृति के हिसाब से आज मदर्स डे था। कमोबेश सोशल मीडिया पर सारे छोटे-बड़े नेता या सभी आम लोग अपनी अपनी माता की तस्वीर लगाकर मदर्स डे पर शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे थे ।
मगर मैँ क्या करूं ? आखिर मेरे अंतर्मन को एक सवाल फिर कचोटने लगा । बताऊँ क्या ? वह यह था कि गाय को अपनी माता कहने वाले लोग , गौ माता, गौशाला , गऊ कत्ल की बातें करने वाले लोगों में से किसी ने भी गाय माता की फोटो लगाकर हैप्पी मदर्स डे नहीं कहा आखिर क्यों ? इसका मतलब गौमाता अपने आप में एक राजनीतिक मुद्दे के अलावा और कुछ नहीं है। चारों तरफ गौरक्षकों का आतंक फैला फैलाकर हिंदूवाद का ढिंढोरा पीटने वाले नेताओं को क्या आज के दिन गौ माता को हैप्पी मदर्स डे नहीं बोलना चाहिए? फिर अगर आज के दिन उन्होंने यदि गऊ मां को याद नहीं किया तो आखिर क्या किया ? मुद्दे की बात यह है कि आप लोगों को यह बात समझनी पड़ेगी की माता आखिर माता होती है जिसकी कोख से एक इंसान जन्म लेता है। बाकी किसी भी जीव को अपनी माता कहने वाला व्यक्ति एक नंबर के ढकोसले बाज के अलावा और कुछ नहीं होता । मेरी इस बात का गऊ भक्तों को अगर बुरा लगा हो तो मैं करबद्ध क्षमा चाहूंगा। परंतु उसके साथ यह जरूर कहना चाहूंगा कि आज के दिन मदर्स डे को देखते हुए कम से कम गौ माता के सम्मान में कोई एक आयोजन पूरे गांव में हुआ होता तो बात समझ में आती। अन्यथा आम जनमानस को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा की यह सब राजनीतिक दृष्टिकोण से वोट बटोरने के अलावा और कुछ भी नहीं है ।
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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