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May 19, 2018
आज जब देहली गेट निवासी वृद्ध के घर में घुस कर सुबह 4 बजे हमला कर हत्या कर दी गयी तो शहर में सनसनी फैल गयी । जिस पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अरविंद यादव , अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा और रासासिंह रावत सहित पार्टी कार्यकर्ताओं का एक शिष्ट मंडल पुलिस कप्तान और एडीएम से तुरंत मिलने पहुँच गया। चलो यह बहुत अच्छी बात है जाना भी चाहिए , आखिर यह शहर में घटित एक दुखद घटना थी, जिसमें ज़िम्मेदार लोगों को पहुंच कर अपनी भूमिका अदा करनी भी चाहिए।वही उन्होनें भी किया।
*लेकिन सवाल इस बात का है कि यह ज़िम्मेदार लोग दो दिन पहले डिग्गी बाजार में खुले आम एक सिंधी समुदाय के व्यापारी पर हुए हमले के मामले में क्यों कुछ नहीं बोले ? आखिर ऐसा क्यों हुआ ? कि जब पूरा बाज़ार बंद रहा , व्यापारी हमलावरों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और फिर भी बड़े नेता वहां पर किसी की भी सुदबुध लेने नहीं पहुंचे और माहौल खराब होता रहा ?*
फिर कल रात दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया और आज सुबह व्यापारियों पर हमला करने वाले दोनों आरोपी युवक जो कि समुदाय विशेष से थे, दोनों को आसानी से जमानत मिल गयी। *हालांकि इस बात में कितनी सत्यता है इसके बारे में कुछ स्पष्ट कहा नहीं जा सकता लेकिन आम चर्चा यह भी है कि दरगाह थाना अधिकारी ने इस मामले में स्थानीय नेताओं के दबाव में आकर व्यापारियों का पक्ष दरकिनार कर एक तरफा सोच रखते हुए आरोपियों को राहत दे दी है।* लेकिन फिर भी बड़े नेताओं का इस मामले से किनारा करना अभी भी कई सवाल खड़े करता है। *दरअसल बात यह नज़र आती की बड़े नेता दो समुदायों के लोगों के बीच उपजे विवाद से इसलिए किनारा कर रहे थे कि कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव है। और वोट भी पढने वाले है ।फिर वोट तो सब के पास है भाई !!! तो एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई जैसी नौबत थी। शायद इसलिए नेताओं ने इस मामले में व्यापारी वर्ग की सुरक्षा को किनारे लगा दिया।*
बात आज सुबह हुई दुखद घटना की । तो उसमें जिस वर्ग की तरफ भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव ने उंगली उठाई है वह अवैध तरीके से अपने दस्तावेज़ बनवाकर दरगाह क्षेत्र में रह रहे बांग्लादेशी लोग है। जिनके शायद वोट नहीं पड़ते होंगें , और अगर पड़ते भी होंगे तो उनकी संख्या इतनी ज्यादा नहीं है कि चुनाव प्रभावित कर सकें। तो साहब !!! सीधा साधा फ़ण्डा अपनाते हुए दे दो पांव ऐसी लकड़ी पर जिसके चटक जाने से वोट में कोई फर्क न पड़ता हो, ताकि दिखाई दे कि साहब नेता लोग बहुत संवेदनशील हैं जनता की सुरक्षा को देखते हुए। *कोई उनसे पूछे कि वह व्यापारी जिस पर हमला हुआ उसकी सुरक्षा का क्या हुआ भाई ? उसके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों* ?
कांग्रेस तो इस से भी आगे निकल गयी साहब !!! वो तो न इस तरफ बोली न उस तरफ और दोनों ही मामलों से दूर शांत बैठी कर्नाटक चुनाव पर प्रदर्शन करती रही । जैसे कि कोई चाबी के गुड्डे हों । जितनी चाबी भरी जाएगी बस उतना ही चलेंगे और चाबी बिना एक इंच आगे नहीं बढ़ेंगे। आज्ञाकारी बालक जो ठहरे प्रदेश कांग्रेस के !!! आखिर जितनी आज्ञा जयपुर से मिलेगी बस वही तो करेंगे न भाई ...
*दोनों ही मामले से कांग्रेस ने दूरी तो ऐसे बनाई जैसे कि जनता की दिखी दिखाई परेशानी में खड़े होने के निर्देश भी उन्हें सचिन पायलट ही देंगे। तब जाकर मुर्दे में जान आएगी* ।
*खैर !!! सच मानिए दोस्तों .... पार्टी यह हो या फिर वह हो।दरअसल इस देश में वोटर का कोई भी नहीं है। अपना दुख , अपनी तकलीफ हर वोटर को खुद ही उठानी है । जैसे प्रभु ईसा मसीह ने अपनी सलीब खुद अपने काँधें पर उठायी थी बिल्कुल वैसे ही आज के नेताओं का बोझ भी वोटर बेचारा खुद अपने काँधें पर उठाकर चल रहा है , यह जानते हुए की आखिर यही सलीब वोटर को लटका कर उसके हक़ की हत्या करने के काम आएगी* ।
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