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May 19, 2018
लो भाई आ गया कर्नाटक चुनाव का नतीजा !!! कांग्रेस को यहां भी स्वीकार नहीं किया जनता ने। भाजपा से जनता चाहे कितनी भी नाखुश हो दरअसल राहुल गांधी का चेहरा स्वीकार नहीं कर पा रहे लोग। *कांग्रेस आला कमान को या तो यह बात समझ नहीं आ रही या फिर राहुल गांधी के बाल हठ के आगे मजबूर है। इसीलिए अपनी आंखों के आगे कांग्रेस को स्वाहा होते हुए देख रहा है* ।
शीर्ष नेतृत्व करने वाले चेहरों की कमज़ोरी अपने आप में एक मुद्दा है जिसकी मार से कांग्रेस एक हाथ बंधे हुए फौजी की तरह मार खा रही है। *कोई फर्क नहीं है कश्मीर में भीड़ के हाथों मार खाने वाले फौजियों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में। जिनके पास हथियार है, ताक़त है , हिम्मत भी है लेकिन आदेश नही है सही दिशा में गोली चलाने के।* आज की स्तिथि में राहुल गांधी खुद ही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल बने हुए हैं। क्योंकि उनको कोई सामने बैठ कर यह नहीं कहता कि - *भाई !! मान जाओ और किसी और को नेतृत्व करने दो* । इतिहास गवाह है कि जिसने भी *गांधी परिवार को चुनौती दी है वह निपट गया है। चाहे माधव राव सिंधिया हों या राजेश पायलट या फिर अर्जुन सिंह ही क्यों न हो। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तक को प्रधानमंत्री का चेहरा इसलिए नहीं बनाया गया क्योंकि वह बहुत मुखर होकर कांग्रेस हित की बात कहते रहे* । परंतु जो हालात आज बने हैं कांग्रेस के ऐसे आज तक कभी नहीं रहे । लेकिन फिर भी आज *जितने दबाव में कांग्रेस का हर शीर्ष नेता काम करता है वह अपने आप में उनकी हिम्मत को सलाम है* । *राहुल गांधी से बेहतर तो शायद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या फिर सचिन पायलट ही कई गुना ज्यादा बेहतर चेहरा हो सकते हैं प्रधानमंत्री पद हेतु।* लेकिन नहीं साहब !!! यहां तो सब के सब अंतर्मन में नहीं चाहते हुए भी राहुल गांधी जिंदाबाद बोलने पर मजबूर हैं। यह बात तय है कि यदि कांग्रेस को वापस सत्ता में आना है तो किसी भी कीमत पर अपनी पुरानी जड़ों की तरफ जाना होगा और युवाओं को आगे बढ़ाने की आड़ में इस प्रयोगवाद पर रोक लगानी होगी। वरना यूँ रोज़ रोज़ नए प्रयोग करने से कांग्रेस का रसातल में जाना तय है।
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